अपनी आक्रामकता और विस्तारवादी सोच के लिए दुनिया भर में एक खतरनाक चुनौती बनकर उभरा चीन अब पारंपरिक युद्ध की जगह वर्चुअल युद्ध लड़ रहा है। उसके इस युद्ध का सबसे बड़ा हथियार फेसबुक, ट्विटर सहित सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म हैं।

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पिछले आठ साल से इंटरनेट पर लोगों की राय जीतने के लिए न सिर्फ दुष्प्रचार फैला रही है, बल्कि इसे युद्ध का मैदान बनाकर लोगों पर अपनी विचारधारा थोपने में भी जुटी हुई है।

चीनी अधिकारी जरूरत के मुताबिक फेसबुक व ट्विटर सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मन मुताबिक कंटेट, फॉलोअर बढ़ाने, आलोचकों को ट्रैक करने व अन्य सूचना अभियानों के लिए निजी कंपनियों का इस्तेमाल करते हैं।

नतीजा यह है कि साइबर हमलों से लेकर चीन की सरकार के समर्थन में वैश्विक स्तर पर सोशल मीडिया पर कंटेट की भरमार है। चीन की सरकार पर सोशल मीडिया का वैश्विक स्तर पर हथियार की तरह इस्तेमाल किए जाने को लेकर लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं।

चीन की इस करतूत का काला चिट्ठा दुनिया के सामने आया है। अमेरिका की एक तकनीकी कंपनी, जो चीन सरकार की इस करतूत में शामिल थी, उसने चीन के इस फरेब का पर्दाफाश किया है।

फेसबुक ने हाल ही में पांच सौ से ज्यादा खातों को बंद किया, जो विल्सन एडवर्ड्स के नाम के एक स्विस जीवविज्ञानी के पोस्टों को तेजी से फैला रहे थे। विल्सन की तरफ से लगातार लिखा जा रहा था कि अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोरोना वायरस महामारी की उत्पत्ति को ट्रैक करने कोशिशों को बाधित कर रहा है।