अगरतला: टिपरा मोथा सुप्रीमो ने प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने शनिवार को पुष्पवंत पैलेस पर राज्य सरकार के एकमात्र एकाधिकार को लेकर त्रिपुरा पर्यटन मंत्री सुशांत चौधरी के दावे का विरोध किया। सुशांत चौधरी ने दावा किया था कि विलय समझौता के अनुसार, पुष्पवंत पैलेस एक सरकारी संपत्ति है। बता दें कि पुष्पवंत पैलेस को कुंजाबन पैलेज के नाम से भी जाना जाता है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर पोस्ट करते हुए प्रद्योत देबबर्मा ने कहा, “शायद इससे कई लोगों की कुंजाबन से जुड़ी यादें ताजा हो जाएंगी। राजमाता कंचनप्रभा देवी ने राज्य को यह महल एक विशेष उद्देश्य से दिया था। उन्हें इसे एक व्यावसायिक उद्यम में बदलने से पहले परामर्श और विचार करना चाहिए था। इसे मूल रूप से एक सार्वजनिक उद्देश्य के लिए दिया गया था।”
पर्यटन मंत्री का बयान
पर्यटन मंत्री सुशांत चौधरी ने इस मामले में शुक्रवार को पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा, “मैं किसी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं चाहता हूं। यह महल जो शाही परिवार की संपत्ति थी, विलय समझौता के बाद यह सरकार की संपत्ति बन गई है। समझौते में इस बात का जिक्र नहीं है कि सरकार महल में कोई परियोजना लागू नहीं कर सकती।” उन्होंने आगे कहा, ‘यह सरकार की संपत्ति है और सरकार अपने हिसाब से निर्णय ले सकती है। अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया गया है (महल को पांच सितारा होटल में बदलने का निर्णय)। यहां राजाओं की कई संपत्तियां हैं, जिनका उपयोग बिजनेस के उद्देश्य से विवाह हाल (मैरेज हॉल) के रूप में किया जाता है।’
देबबर्मा ने लोगों से विरोध मार्च में शामिल होने की अपील की
पुष्पबंत पैलेस के पास स्थित मनंचा निवास और उज्जयंता पैलेस के एक हिस्से को पहले ही विवाह हॉल में बदल दिया गया है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में टिपरा मोथा पार्टी के नेता पद्योत देबबर्मा ने स्थानीय लोगों से पुष्पवंत पैलेस को बचाने के लिए पांच दिसंबर को एक विरोध मार्च में शामिल होने की अपील की।