Friday, September 20, 2024 at 3:08 AM

जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया वे गुमनाम हुए, संजो कर रखे हैं अंग्रेज अफसरों के नाम

सोनभद्र:  उनकी तुरबत पर नहीं है एक भी दीया, जिन्होंने लहू ने सींचा था चिरागे वतन, जगमगा रहे हैं मकबरे उनके, बेचा करते थे जो शहीदों के कफ़न… सोनांचल के वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से जुड़े स्थलों की स्थिति पर ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं।

स्वतंत्रता आंदोलन में अपने प्राणों की बाजी लगाने वाले सेनानियों के नाम पर यहां कोई मोहल्ला भी नहीं, जबकि अंग्रेज अधिकारियों के नाम पर नगर और बड़े कस्बे आबाद हैं।

विडंबना है कि आजादी के 75 वर्षों बाद भी हम उसी पहचान को ओढ़े हुए हैं। गुलामी की इन निशानियों को मिटाने के लिए कभी कोई आवाज़ भी नहीं उठती। सोनभद्र का जिला मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज में है। अंग्रेज अधिकारी डब्ल्यूबी रॉबर्ट्स ने इसे बसाया था। तब देश पर अंग्रेजी हुकूमत थी। लिहाज़ा, इसका नामकरण उसी अधिकारी के नाम पर हो गया था।

आजादी के बाद भी वही नाम क़ायम है। इसी नाम से तहसील है और कोतवाली भी। लोकसभा और विधानसभा की सीट का भी यही नाम है। पहले इसी नाम से नगर पालिका और रेलवे स्टेशन भी था। काफ़ी जद्दोजहद के बाद नगर पालिका और स्टेशन के रिकॉर्ड में नाम बदल पाया, लेकिन अन्य अभिलेखों में आज भी रॉबर्ट्सगंज ही क़ायम है।

कुछ ऐसा है इतिहास
बनारस या कहीं अन्य से बस चलती है तो वह भले ही सोनभद्र डिपो में रुकती है, मगर टिकट रॉबर्ट्सगंज का ही बनता है। बिजली निगम का डिवीजन भी रॉबर्ट्सगंज के नाम से है। इसी नाम से महिला थाना भी। ऐसे ही एक अन्य कस्बा है विंढमगंज।

झारखंड सीमा पर स्थित इस कस्बे का नामकरण भी मिर्जापुर के तत्कालीन कलेक्टर पी. बिल्ढम के नाम पर है। बुजुर्ग कहते हैं कि क्षेत्र के भ्रमण पर आए अंग्रेज अधिकारी बिल्ढम ने ही अपने नाम पर इस कस्बे को बसाया था। वैसे सरकारी अभिलेखों में यह बुटबेढ़वा ग्राम पंचायत का हिस्सा है, लेकिन आम चलन में लोग इसे विंढमगंज के रूप में ही जानते हैं।

Check Also

आज फिर अयोध्या पहुंचेंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, देंगे विकास परियोजनाओं की सौगात

लखनऊ:  रामनगरी के विकास के लिए योगी सरकार लगातार धनवर्षा कर रही हैं। अयोध्या को …