अलीगढ़: अलीगढ़ शहर के अतिसंवेदनशील मोहल्ला बनियापाड़ा से लोगों के पलायन का सिलसिला जारी है, इसके पीछे बड़ा कारण असुरक्षित माहौल होना है। बताया जाता है कि मोहल्ले में करीब ढाई सौ परिवार हैं, जिनमें से करीब एक दर्जन परिवार मोहल्ला छोड़कर जा चुके हैं, जिनके मकानों में ताले पड़े हैं।
बनिया पाड़ा थाना देहलीगेट क्षेत्र के अंतर्गत आता है। मोहल्ले से बाहर निकलने के पांच प्रमुख रास्ते हाथी वाला पुल, श्याम चौक, ऊपरकोट, शीशा मस्जिद, चिराग चियान हैं, जो मुस्लिम बाहुल्य हैं। सांप्रदायिक दंगों के दौरान तनाव इतना ज्यादा होता था कि पुलिस को ही खाद्य सामग्री मोहल्ले में पहुंचानी पड़ती थी। बनियापाड़ा मोहल्ला में मुख्यत: वैश्य समाज के परिवार थे, कुछ परिवार ब्राह्मण तथा अन्य समाज के थे। एक भी मुस्लिम परिवार मोहल्ले में नहीं था।
अलीगढ़ में अब तक जितने भी दंगे हुए हैं लगभग सभी में बनियापाड़ा प्रभावित हुआ है। ऐसे में काफी परिवार यहां से मकान बेचकर पलायन कर गए। पिछले कुछ सालों में मुस्लिम परिवार मोहल्ले में बसे हैं। मोहल्ला निवासी मोहन लाल ने बताया कि आस्था के चलते दूर-दराज से लोग यहां बांकेबिहारी के दर्शन करने आते हैं। मोहल्ले में चारों ओर मंदिर होने के कारण इसे अलीगढ़ का वृंदावन कहा जाता है। पिछले कुछ सालों में हिंदू परिवार मोहल्ला छोड़कर शहर के दूसरे इलाकों में बसे हैं, जबकि कई मुस्लिम परिवार बनियापाड़ा में बसे हैं।
मोहल्ले में हैं 12 मंदिर
बनियापाड़ा में गोविंद जी, लक्ष्मणजी, बांकेबिहारी, सत्यनारायणजी, पथवारी माता, शनिदेव, तीन देवी मंदिर समेत 12 मंदिर हैं। पांच प्राचीन कुएं हैं, जिनमें अब पानी नहीं है, लेकिन विवाह आदि कार्यों में यहां पूजा होती है। बांके बिहारी मंदिर का इतिहास वृंदावन के मंदिर से जोड़कर बताया जाता है, इसके पीछे तर्क है कि संत हरिदास का जन्म अलीगढ़ में हुआ था, जिनके नाम पर यहां हरिदास नगर बसा है। उनके द्वारा स्थापित विग्रह बनियापाड़ा में है।