केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में कैडर अधिकारियों की पदोन्नति, संगठित सेवा का दर्जा, नए सर्विस रूल्स एवं वित्तीय हितों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया था, उस पर केंद्र सरकार रिव्यू पेटिशन में चली गई है। इस कदम को 13000 कैडर अधिकारियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। केंद्र सरकार के इस कदम से परेशान होकर सीएपीएफ के एक अधिकारी ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को खुला पत्र लिखा है। इस पत्र को सोशल मीडिया के जरिए साझा किया गया है। इसमें सीएपीएफ अधिकारियों के लिए न्याय और सम्मान की गुहार लगाई गई है। पत्र में कहा गया है कि वे गंभीर अन्याय का सामना कर रहे हैं। सरकार ने हमें संगठित ग्रुप ए सेवा यानी ‘ओजीएएस’ का दर्जा देने से इनकार कर दिया है।

कैडर अधिकारी ने अपने पत्र में लिखा कि वह एक पीड़ित, लेकिन समर्पित सैनिक के रूप में लिख रहा है। वह सैनिक, जिसने 19 वर्ष तक वर्दी पहनकर देश की सीमाओं की रक्षा की है। भारत के सबसे दुर्गम क्षेत्रों में अपनी टुकड़ी का नेतृत्व किया है। एसपीजी के कमांडो और सीआरपीएफ के जेड प्लस सुरक्षा कर्मी, जो दिन रात आपकी हिफाजत करते हैं। इन विशिष्ट इकाइयों का नेतृत्व करने वाले अधिकारी, जो अटल साहस और अद्भुत योजनाबद्धता से अपना कर्तव्य निभाते हैं। ये सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के अधिकारी हैं।

पत्र के मुताबिक, आज यही अधिकारी एक गंभीर अन्याय का सामना कर रहे हैं। आपकी सरकार ने हमें संगठत ग्रुप-ए सेवा (OGAS) का दर्जा देने से इनकार कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय को पलटने के लिए एक पुनर्विचार याचिका तक दायर कर दी है, जिसने हमारे अधिकारों को मान्यता दी थी। क्या यह संदेश देना चाहते हैं कि हमारी जान तो कुर्बानी के लायक है, लेकिन सम्मान नहीं। हम भारत के लिए लड़ते हैं, पर हमारे लिए कौन लड़ेगा। यह सिर्फ मेरी कहानी नहीं है, बल्कि सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी और सीआईएसएफ के हजारों प्रत्यक्ष भर्ती

अधिकारियों की मूक पीड़ा है। गणतंत्र दवस की परेड में हमें सलामी दी जाती है, राजनीतिक भाषणों में हमारी शहादत का गुणगान किया जाता है।