नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार किया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि अधिकारियों ने कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए संपत्तियों को ध्वस्त किया। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी। बेंच ने कहा, आप हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते? हर मामले में हमारे लिए यहां से निगरानी मुश्किल होगा।

अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जिन घरों को ध्वस्त किया गया, वे निजी भूमि पर थे। इस पर बेंच ने कहा, हम इस याचिका पर सुनवाई नहीं करना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें शीर्ष कोर्ट के 13 नवंबर 2024 के दिशानिर्देशों के कथित उल्लंघन के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई थी। शीर्ष कोर्ट ने निर्देश दिया था कि बिना पूर्व नोटिस और पंद्रह दिन का समय दिए बिना किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकता।

याचिकाकर्ता ने क्या आरोप लगाए
वकील पारस नाथ सिंह के जरिए दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि अहमदाबाद नगर निगम के अधिकारियों ने उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना और शीर्ष अदालत का दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए एक व्यक्ति के तीन घरों और एक शेड को तोड़ दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में जारी किए थे दिशानिर्देश
याचिकाकर्ता गुजरात में अल्पसंख्यक समन्वय समिति का संयोजक है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि शीर्ष अदालत के स्पष्ट दिशानिर्देशों का अधिकारियों ने उल्लंघन किया। उन्होंने पिछले साल सितंबर में अहमदाबाद में तीन घरों को ध्वस्त कर दिया। शीर्ष कोर्ट ने अपने 2024 के फैसले में कहा था कि उसके निर्देश सड़कों, गलियों, फुटपाथ, नजदीकी रेल लाइनों या नदी या जल निकायों में अवैध ढांचों पर लागू नहीं होंगे और बिना कोर्ट के आदेश के संपत्ति ध्वस्त नहीं होगी।