सऊदी अरब और ईरान के टकराव में पाकिस्तान उलझता जा रहा है। पाकिस्तान के ग्वादर में सऊदी अरब की कंपनी अरामको ने 10 बिलियन डॉलर के निवेश से रिफाइनरी बनाने की योजना बनाई है।
सऊदी अरब, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में शिया विरोधी कट्टरपंथी मदरसों को धन देना जारी रखे हुए है। ईरान इससे चिंतित है। इन मदरसों से निकलने वाले चरमपंथी ग्वादर के आसपास के इलाकों को केंद्र बना कर ईरान विरोधी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।
ईरान शिया और सऊदी अरब सुन्नी बहुल देश है। सीरिया से यमन तक पश्चिम एशिया में कई लड़ाइयों में ये दोनों देश प्रॉक्सी वॉर (परोक्ष युद्ध) में शामिल बताए जाते हैं। ईरान की सीमा पाकिस्तान से लगती है।
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के जरिए पाकिस्तान में चीन ने अरबों डॉलर का निवेश किया है। उधर जब से अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाए, चीन ईरान के कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातक के रूप में सामने आया है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ताजा सऊदी अरब यात्रा इस बात की मिसाल है।