नागपुर:  महाराष्ट्र के औरंगजेब की कब्र को लेकर छिड़े विवाद को आरएसएस के वरिष्ठ नेता ने अनावश्यक बताया है। उन्होंने कहा कि जो भी अनुयायी है वह महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में स्थित कब्र का दौरा करेगा। इससे पहले मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने औरंगजेब की कब्र को लेकर सांप्रदायिक तनाव भड़काने के प्रयासों की निंदा की।

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि इतिहास को जाति और धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।उन्होंने लोगों से ऐतिहासिक जानकारी के लिए व्हाट्सएप फॉरवर्ड पर भरोसा नहीं करने को भी कहा। ठाकरे ने यह भी कहा कि मुगल शासक शिवाजी नामक एक विचार को मारना चाहता था, लेकिन असफल रहा और महाराष्ट्र में उसकी मृत्यु हो गई। मनसे प्रमुख ने कहा कि बीजापुर के सेनापति अफजल खान को प्रतापगढ़ किले के पास दफनाया गया था और छत्रपति शिवाजी महाराज की अनुमति के बिना ऐसा नहीं किया जा सकता था।

राज ठाकरे के बयान और औरंगजेब की कब्र को लेकर भैयाजी जोशी ने कहा कि औरंगजेब की कब्र का विषय अनावश्यक रूप से उठाया गया है। उनकी मृत्यु भारत में हुई थी, इसलिए उनकी कब्र यहीं बनाई गई है। हमारे पास छत्रपति शिवाजी महाराज का आदर्श (रोल मॉडल) है, उन्होंने अफजल खान की कब्र बनवाई थी। यह भारत की उदारता और समावेशिता का प्रतीक है। कब्र बनी रहेगी, जो भी जाना चाहेगा, जाएगा।

इससे पहले आरएसएस के मुख्य प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने मुगल बादशाह औरंगजेब को अप्रासंगिक बताया था। जब उनसे पूछा गया कि क्या औरंगजेब की कब्र को दूसरी जगह ले जाना चाहिए और क्या मुगल शासक आज भी प्रासंगिक है, तो उन्होंने जवाब दिया था कि नहीं, यह प्रासंगिक नहीं है।

औरंगजेब की कब्र पर विवाद जारी
दक्षिणपंथी संगठन विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी), छत्रपति संभाजीनगर से औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग कर रहे हैं। इस मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन भी हुए थे। अफवाह थी कि पवित्र शिलालेखों वाली चादर जलाए गए, जिसके बाद इस महीने की शुरुआत में नागपुर में हिंसा भी भड़क उठी थी। हालांकि अब नागपुर की स्थिति नियंत्रण में है।