नई दिल्ली: भारत में विनिर्माण गतिविधयों को बढ़ाने के लिए प्लग-एंड-प्ले औद्योगिक पार्कों के विकास में तेजी की जरूरत है। रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म कुशमैन एंड वेकफील्ड की नई रिपोर्ट “एलेवेटिंग इंडियाज मैन्युफैक्चरिंग रेजिलिएंस: चार्टिंग द पाथ टू सेल्फ-रिलायंस” में यह जानकारी दी गई है। यह रिपोर्ट भारत के विनिर्माण और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों के 94 वरिष्ठ निर्णयकर्ताओं के सर्वेक्षण पर आधारित है। इसमें बड़े उद्योगों से लेकर एमएसएमई तक का दृष्टिकोण शामिल है।

प्लग-एंड-प्ले औद्योगिक पार्क क्यों है खास?
प्लग-एंड-प्ले औद्योगिक पार्क का मतलब है सारी सुविधाओं से लैस होना। जहां आवश्यक बुनियादी ढांचे, जैसे कि सड़क, बिजली, पानी, और कनेक्टिविटी, पहले से ही मौजूद होते हैं। व्यवसायों को बिना किसी देरी के तुरंत अपने परिचालन शुरू करने की अनुमति मिलती है, जिससे निर्माण और रखरखाव में लगने वाले समय और लागत में कमी आती है।

विनिर्माण क्षेत्र एक संचनात्मक बदलाव के दौर से गुजर रहा है
कुशमैन एंड वेकफील्ड के मुंबई और न्यू बिजनेस के कार्यकारी प्रबंध निदेशक गौतम सराफ ने कहा कि भारत का विनिर्माण क्षेत्र एक संरचनात्मक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। हमारी रिपोर्ट में यह सामने आया कि बुनियादी ढांचे में निवेश, स्पष्ट नीतियां और उद्योग की मंशा, मजबूती से जुड़ी हैं। सर्वे के अनुसार 88 प्रतिशत निर्माता बुनियादी ढांचे में सुधार के चलते अपने संचालन का विस्तार कर रहे हैं और 95 प्रतिशत से अधिक ने सरकार समर्थित कार्योक्रमों के मध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स पहुंच की सूचना दी है।

हालांकि, सराफ ने यह भी कहा कि भारत को लॉजिस्टिक्स लागत, एकीकृत सुविधाओं की कमी और एमएसएमई की उत्पादकता में गहरी लागत और क्षमता अंतराल को दूर करना होगा। उन्होंने कहा कि प्लग-एंड-प्ले इंडस्ट्रियल पार्क्स, मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स नेटवर्क और बेहतर भूमि अधिग्रहण तंत्र केवल सहायक साधन नहीं हैं, बल्कि नीति को उत्पादन क्षमता में बदलने के लिए अनिवार्य तंत्र हैं।
चार प्रमुख चुनौतियों
रिपोर्ट में भारत की विनिर्माण वृद्धि को बाधित करने वाली चार प्रमुख चुनौतियों की पहचान की गई, उच्च लॉजिस्टिक्स लागत, वैश्विक बेंचमार्क से पीछे चल रही वेयरहाउसिंग क्षमता, कम मूल्य संवर्धन और कौशल की कमी।