नई दिल्ली: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि नागरिकता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, आपने इसे राजनीतिक रंग दे दिया और इसे छिपाने की कोशिश की, जबकि असली मुद्दा नागरिकता का ही है। बिहार में चुनाव बहिष्कार को लेकर विपक्षी गठबंधन इंडिया ने अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन सभी विकल्प खुले हैं।
किसी राजनीतिक दल की नहीं ली गई राय: मनोज झा
वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सांसद मनोज झा ने कहा, जब मुख्य चुनाव आयुक्त (ज्ञानेश कुमार) ने कार्यभार संभाला था, तब उन्होंने कहा था कि वह कोई भी फैसला राजनीतिक दलों से सलाह के बिना नहीं लेंगे। मुझे लगता है कि पिछले 22 वर्षों में इससे बड़ा कोई फैसला नहीं हुआ (बिहार एसआईआर की बात करते हुए), लेकिन किसी भी राजनीतिक दल से कोई राय नहीं ली गई।
एसआईआर पर क्यों हो रहा विवाद
24 जून को चुनाव आयोग ने बिहार में एसआईआर का निर्देश दिया था। यह 25 जून से 26 जुलाई 2025 के बीच होना था। चुनाव आयोग का कहना है कि मतदाता सूची में फर्जी, अयोग्य और दो जगहों पर पंजीकृत मतदाताओं को हटाने के उद्देश्य से पुनरीक्षण किया जा रहा है। वहीं, विपक्षी दलों का आरोप है कि चुनाव आयोग इस विशेष गहन पुनरीक्षण के जरिए पिछले दरवाजे से लोगों की नागरिकता की जांच कर रहा है। साथ ही विपक्ष का आरोप है कि इसकी आड़ में बड़े पैमाने पर लोगों से मतदान का अधिकार छीना जा सकता है।
हालांकि, चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया है कि अगर कोई व्यक्ति मतदाता सूची से बाहर हो जाए, तो इसका मतलब यह नहीं होगा कि उसकी नागरिकता समाप्त हो गई है। चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि कानून और संविधान के तहत उसे यह अधिकार प्राप्त है कि वह नागरिकता से जुड़े दस्तावेज मांग सके, ताकि लोगों को मताधिकार मिल सके।