तिरुवनंतपुरम:  केरल के वायनाड में भूस्खलन पीड़ितों से जुड़ा मुकदमा उच्च न्यायालय में है। भूस्खलन पीड़ितों के लोन की माफी को लेकर केंद्र सरकार ने आज हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किया। केंद्र सरकार ने बताया कि वायनाड के भूस्खलन पीड़ितों के ऋण पूरी तरह माफ नहीं किए गए हैं। केंद्र ने अदालत को बताया कि सरकार और बैंकों की तरफ से ऋण के लाभार्थियों को ऋण पुनर्गठन (Restructuring) और किश्तों के भुगतान की तारीख को आगे खिसकाने (Rescheduling) जैसे विकल्प दिए जाएंगे। केंद्र ने यह जवाब उस याचिका पर दिया है, जिसमें कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि क्या जुलाई, 2024 की प्राकृतिक आपदा में अपना सबकुछ गंवाने वाले पीड़ितों के ऋण माफ किए जाएंगे।

ऋण से जुड़े फैसले रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के तहत ही होंगे
केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया है कि ऋण पुनर्गठन और रिशेड्यूलिंग यानी भुगतान में देरी के विकल्प भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के तहत ही होंगे। सरकार ने बताया कि प्राकृतिक आपदा पीड़ितों को आर्थिक लाभ से जुड़े फैसले आरबीआई के मास्टर डायरेक्शन (RBI Master Directions on Natural Calamities) के तहत लिए जाते हैं।

ऋण से जुड़े फैसले पर वित्त मंत्रालय का हलफनामा
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में बताया कि पिछले साल 19 अगस्त को केरल में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की विशेष बैठक हुई थी। इस बैठक में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन भी शामिल हुए थे। इसमें पीड़ितों को मिलने वाले राहत उपायों को लेकर अहम फैसले लिए गए। फैसले के मुताबिक सरकार की तरफ से मिलने वाली राहत प्राकृतिक आपदाओं पर आरबीआई के मास्टर निर्देशों के अनुरूप ही लागू होंगे।

एक साल की मोहलत मिलती है, नए प्रावधानों का भी लाभ मिलता है
सरकार ने बताया कि आरबीआई के मास्टर निर्देशों के अनुसार, प्राकृतिक आपदा पीड़ितों को मिलने वाली मौजूदा वित्तीय राहतों में ऋण का पुनर्गठन या पुनर्निर्धारण शामिल है। इसके लिए उन्हें एक साल की मोहलत मिलती है। उन्हें नए ऋणों के प्रावधानों का लाभ भी मिलता है।

हाईकोर्ट के सवालों पर वित्त मंत्रालय ने क्या कहा?
इससे पहले केंद्र सरकार ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के दौरान केरल हाईकोर्ट में जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार और ईश्वरन एस की खंडपीठ को सूचित किया था कि भूस्खलन पीड़ितों के ऋणों पर केवल तात्कालिक रोक (Moratorium) और ऋण पुनर्गठन जैसे उपायों का लाभ मिलेगा। इस पीआईएल का मकसद केरल में आपदा की रोकथाम और प्रबंधन में सुधार करना था।