Monday, November 25, 2024 at 1:40 AM

कर्नाटक सरकार ने परिवार के जख्म लगाई मरहम, 50 लाख रुपये और सरकारी नौकरी देने का एलान

बंगलूरू:कर्नाटक के यादगीर जिले में युवा पुलिस सब-इंस्पेक्टर (एसआई) परशुराम की रहस्यमय हालात में मौत के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। हालांकि अब राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने एसआई की पत्नी को 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। इसके साथ ही उन्होंने सीबीआई जांच से इनकार कर दिया है। गृह मंत्री ने कहा कि एसआई की मौत की सीआईडी जांच काफी है।

सूबे में सत्तारूढ़ कांग्रेस के एक विधायक इस विवाद की जद में आते दिखाई दे रहे हैं। मृतक पुलिस सब इंस्पेक्टर परशुराम की पत्नी श्वेता ने कांग्रेस विधायक चेन्नारेड्डी पाटिल तुन्नूर और उनके बेटे पंपानागौड़ा तन्नूर पर उनके पति को मानसिक रूप से परेशान करने का गंभीर आरोप लगाया है। श्वेता ने कांग्रेस विधायक और उनके बेटे पर आरोप लगाया कि वे उनके पति का ट्रांसफर रोकने के लिए 30 लाख रुपये की मांग कर रहे थे। सात महीने के अंदर ही उनके पति का ट्रांसफर कर दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि मांग के कारण परशुराम परेशान थे। इसलिए उन्होंने आत्महत्या कर ली।

गृहमंत्री ने परिवार से मुलाकात की
गृहमंत्री ने कोप्पल जिले के सोमनाल गांव में शोक संतप्त परिवार से मुलाकात की और उन्हें सांत्वना दी। बाद में पत्रकारों से भी बात करते हुए परमेश्वर ने पुलिसकर्मी की मौत पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हम उन्हें वापस नहीं ला सकते, लेकिन परिवार को सांत्वना देना मेरा कर्तव्य है। यह मेरे लिए भी नुकसान है। वह दलित समुदाय के एक ईमानदार अधिकारी थे। उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है।

नौकरी की पेशकश की
मंत्री परमेश्वर ने कहा, ‘हमने इलेक्ट्रिकल स्ट्रीम में इंजीनियरिंग ग्रेजुएट उनकी पत्नी को अपने विभाग में नौकरी की पेशकश की है, लेकिन उन्होंने गुलबर्ग इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी (गेस्कोम) में नौकरी मांगी है। मैं मुख्यमंत्री के साथ इस पर चर्चा करूंगा। हमारे विभाग और राज्य सरकार ने परिवार को विशेष अनुदान के रूप में 50 लाख रुपये देने का फैसला किया है।’

गृह मंत्री ने सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘हम यह मामला सीबीआई को नहीं देंगे। हम उन्हें (एसआई के परिवार को) न्याय देंगे, जो उनकी मांग है। जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’

पैसे लेकर तबादले नहीं होते
परमेश्वर ने जोर देकर कहा कि पुलिस विभाग में पैसे लेकर तबादले नहीं होते हैं। मंत्री के अनुसार, एक कानून पहले से ही लागू है जो पोस्टिंग के दो साल बाद ही तबादले को अनिवार्य बनाता है। उन्होंने कहा कि अगर किसी का तबादला होता है तो उनके पास कर्नाटक प्रशासनिक न्यायाधिकरण (केएटी) से संपर्क करने और स्थगन प्राप्त करने का विकल्प होता है।

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