Saturday, December 7, 2024 at 10:42 AM

‘कन्नड़ झंडा फहराना अनिवार्य’, कर्नाटक सरकार ने राज्य स्थापना दिवस के लिए जारी किया फरमान

देश:  एक नवंबर को कर्नाटक राज्य की स्थापना दिवस है। इसके मद्देनजर इस बार राज्य सरकार ने राज्य के शिक्षण संस्थानों, कारोबारी समेत सभी लोगों से एक अपील की है कि सभी को 50वें राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर पूरे प्रदेश भर में कन्नड़ झंडा फहराना अनिवार्य है।

डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की अपील
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राज्य स्थापना दिवस को लेकर कहा कि राज्य के स्थापना दिवस एक नवंबर को बेंगलुरू में सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में काम करने वाली सभी शिक्षण संस्थाओं, व्यवसायों और कारखानों में कन्नड़ ध्वज फहराना अनिवार्य है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि बेंगलुरु शहरी जिले में रहने वाले लगभग 50 प्रतिशत लोग दूसरे राज्यों से आए हैं और उन्हें भी कन्नड़ भाषा सीखने की प्राथमिकता देनी चाहिए। हम मैसूर राज्य का नाम बदलकर कर्नाटक किए जाने के 50 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। एक नवंबर कन्नड़ लोगों के लिए जश्न का दिन है, बेंगलुरू के प्रभारी मंत्री के तौर पर मैंने एक नया कार्यक्रम तैयार किया है जिसके तहत सभी स्कूलों और कॉलेजों, कारखानों, आईटी-बीटी क्षेत्र समेत सभी व्यवसायों में कन्नड़ ध्वज अनिवार्य रूप से फहराया जाना चाहिए।

डिप्टी सीएम ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि इस मामले में एक आदेश जारी किया जाएगा। जिसके आधार पर सभी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, कारखानों, व्यवसायों और अन्य को अनिवार्य रूप से कन्नड़ ध्वज फहराना जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि राज्योत्सव का सरकारी समारोह एक जगह पर आयोजित किया जाएगा, लेकिन निजी और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में भी समारोह अनिवार्य रूप से आयोजित किए जाने चाहिए।

‘कन्नड़ सीखना कर्नाटक वासियों का कर्तव्य’
वहीं एक सवाल का जवाब देते हुए डिप्टी सीएम डीके शिवकुरमार ने कहा कि मैं सभी को बताना चाहता हूं कि इस कन्नड़ भूमि पर रहने वाले सभी लोगों को कन्नड़ भाषा सीखना उनका कर्तव्य है, हमने स्कूलों में कन्नड़ को एक विषय के रूप में अनिवार्य कर दिया है। उन्होंने कहा कि सभी को यह महसूस होना चाहिए कि कन्नड़ जाने बिना कर्नाटक में रहना संभव नहीं है। स्कूलों और कॉलेजों को एक नवंबर को कन्नड़ ध्वज फहराने के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करने चाहिए, जैसे स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

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