चोट से वापसी कर रहे और खराब फार्म से जूझ रहे भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों को मंगलवार से यहां शुरू हो रही ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप में खिताब के लिए देश का इंतजार खत्म करने के लिए पूरे दमखम के साथ खेलना होगा।
पुलेला गोपीचंद (2001) ने महान प्रकाश पादुकोण (1980) का अनुसरण किया था और यह खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय बने थे। लक्ष्य सेन पिछले सत्र में और साइना नेहवाल 2015 में फाइनल में पहुंचे थे लेकिन वे खिताब के सूखे को खत्म करने में विफल रहे।
पदक विजेता पीवी सिंधू इस टूर्नामेंट में सेमीफाइनल की बाधा को पार नहीं कर सकी। भारतीय खिलाड़ियों के लिए परिस्थितियां इस बार भी मुश्किल होगी।
सेन और सिंधु दोनों चोट के कारण लंबे समय तक खेल से दूर रहने के बाद वापसी पर नए सत्र की खराब शुरुआत की है। दोनों मलेशिया और इंडिया ओपन में जल्दी बाहर हो गए थे। क्रिस्टो पोपोव से करारी शिकस्त के बाद इस टूर्नामेंट में उतर रहे हैं जबकि सिंधू अपने कोरियाई कोच पार्क ताए-संग कुछ सप्ताह पहले ही अगल हुई है।