बदायूं:  अपने अलग मिजाज के लिए चर्चित बदायूं जिले के हरपालपुर गांव में सपेरों की सबसे बड़ी पंचायत है। यहां देशभर से आए विवाद हल किए जाते हैं। नाथ समाज के पंच सजा तय करते हैं और पूरी बिरादरी उनकी बात मानती है। थाने व कचहरी से लौटकर भी यहां कई मामले आते हैं। एक दशक पहले तक यहां कबीलाई कायदे से फैसले होते रहे। सच्चे-झूठे का पता लगाने के लिए लोहे का गर्म फाला हाथ पर रखवाया जाता था, पर अब फैसले के लिए कानूनी तौर-तरीके अपनाए जा रहे हैं। गंगा नदी के कछला घाट के निकट स्थित हरपालपुर गांव पहुंचकर टीम ने ग्रामीणों से बात की। पंच साहब नाथ ने बताया कि उनके गांव की पंचायत को कोई सपेरों का हाईकोर्ट तो कोई सुप्रीम कोर्ट कहता है।

कई पीढ़ियों से यहां नाथ समाज के विवादों के निपटारे के लिए पंचायत लगती आ रही है। बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर, आगरा, मथुरा, मेरठ, फर्रुखाबाद, मैनपुरी जैसे करीबी जिलों के साथ ही यहां उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान समेत कई अन्य प्रदेशों के विवाद भी निपटारे के लिए आते हैं। यहां हर तरह के विवादों का निपटारा होता है। हरपालपुर में इस समय साहब नाथ के अलावा हजारी नाथ, ठकुरी नाथ व वीरपाल नाथ पंच हैं।

भेदभाव नहीं करते पंच, अब लगा रहे अर्थदंड
साहब नाथ के साथ ही राकेश नाथ व देवेंद्र नाथ ने बताया कि अब बाहर के विवाद ज्यादा नहीं आते। पंचों ने भी अब कबीलाई कायदे से इतर जुर्माना लगाना शुरू कर दिया है। 25 हजार रुपये लेकर दो-दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है। आरोपी को सुधरने का मौका भी दिया जाता है। यदि उसने चेतावनी के बाद भी कोई गलत हरकत की तो उसे जुर्माना भरना पड़ता है। पंचायत छोटों को बड़ों का सम्मान करना भी सिखाती है। गलत काम करने वाले का बहिष्कार तक कर दिया जाता है। एक हत्यारोपी को इन दिनों पंचायत ने गांव से बाहर कर दिया है। कहा गया है कि जब तक वह बरी नहीं होता, तब तक बिरादरी से बाहर रहेगा।