रूस-यूक्रेन युद्ध और लद्दाख से लेकर ताइवान तक चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच क्वॉड देशों के शीर्ष नेता जापान की राजधानी टोक्यो में 24 जून को बैठक की हैं।
चीन के विदेश मंत्री वांग यीने एशिया और प्रशांत के लिए आर्थिक और सामाजिक आयोग (ईएससीएपी) को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए कहा, ”एशिया-प्रशांत क्षेत्र की शांति और समृद्धि न केवल क्षेत्र के लिए बल्कि दुनिया के भविष्य के बारे में भी है।”
भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के नेतृत्व वाला यह ‘एशियाई नाटो’ अब पर चीन पर फोकस करने जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत निकट भविष्य में अमेरिका के साथ अपनी नजदीकी भागीदारी को सैन्य गठबंधन में नहीं बदलने जा रहा है लेकिन इसने चीन में नई दिल्ली को लेकर होने वाली बहस में प्रमुखता हासिल कर लिया है।
अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि इसका ”विफल होना तय” है क्योंकि बीजिंग को रोकने के लिए वाशिंगटन इसे बढ़ावा दे रहा है।