Sunday, November 3, 2024 at 9:26 PM

लद्दाख में चीनी फौज के सामने जब DSP ने मिट्टी हाथ में उठाकर कहा, ये जमीन हमारी है

चीनी सैनिकों के धोखे की बात सामने आते ही ‘होट स्प्रिंग’ के जांबाज सोनम वांग्याल का मन कड़वाहट से भर जाता है। सीआरपीएफ से रिटायर्ड और उस मिशन के एकमात्र जीवित नायक सोनम वांगयाल ने बताया कि 1959 में चीनी सैनिकों ने लेह-लद्दाख के कई इलाकों में घुसपैठ की थी। भले ही भारतीय नायकों की संख्या मुट्ठीभर रही थी, लेकिन उन्होंने चीन की फौज का जमकर मुकाबला किया था।

लद्दाख में चीनी फौज के सामने डीएसपी करमसिंह (आईटीबीएफ) ने मिट्टी हाथ में उठाकर कहा था, ये जमीन हमारी है। इसके बाद चीन की फौज की तरफ से एक पत्थर फेंका गया। बतौर वांगयाल, जब चीन की इस हरकत का विरोध किया गया तो उनके सैनिकों ने चारों तरफ से फायरिंग शुरू कर दी। भारत के कई जवान शहीद हुए। भारत के उन्हीं शहीदों के सम्मान में हर वर्ष 21 अक्तूबर को देश में पुलिस संस्मरण दिवस मनाया जाता है।

‘चीन की फौज’ के धोखे की कहानी
सीआरपीएफ से रिटायर्ड और उस मिशन के एकमात्र जीवित नायक सोनम वांगयाल ने एक खास बातचीत में ’21 अक्तूबर’ और ‘चीन की फौज’ के धोखे को लेकर कई खुलासे किए। उन्होंने कहा, हमारे जवान चीनी सैनिकों के साथ बहादुरी से लड़े थे। 21 अक्तूबर 1959 का दिन और 16,300 फुट की ऊंचाई पर भारतीय इलाके में घुसपैठ करने वाली चीन की फौज ने हमारे जवानों को धोखे से मार डाला था। उस वक्त लद्दाख में कई फुट बर्फ पड़ी थी।

उन्होंने कहा, ‘मैं अकेला था। मेरे सामने 10 जवानों के शव पड़े थे। शवों को लाने के लिए मैंने लकड़ी और तिरपाल का स्ट्रेचर बनाया। भारतीय जवानों के शवों को घोड़ों की मदद से खींचते हुए सिलुंग नाले के रास्ते होट स्प्रिंग (लेह में चीनी सैनिकों के कब्जे से मुक्त कराई गई भारतीय चौकी) तक लाया। शव इतने क्षत-विक्षत हो चुके थे कि उन्हें आगे ले जाना मुश्किल था। नतीजा, वहीं पर लकड़ियां एकत्रित कीं और बर्फ में ही अपने साथियों का अंतिम संस्कार कर दिया।’

25 साल की उम्र में बने थे एवरेस्ट विजेता
बता दें कि 1965 में मात्र 25 साल की आयु में वांग्याल एवरेस्ट विजेता बने थे। 1962 की लड़ाई से पहले 1959 में चीनी सैनिकों ने लेह-लद्दाख के कई इलाकों में घुसपैठ की थी। मुट्ठीभर जवानों को होट स्प्रिंग पर चौकी स्थापित करने का आदेश मिला। भारतीय जवान चौकी स्थापित करने में तो कामयाब हो गए, लेकिन अपने लापता साथियों की तलाश के दौरान सैकड़ों चीनी सैनिकों ने उन्हें निशाने पर ले लिया। दर्जनभर जवानों को धोखे से मार डाला। जो बच गए उन्हें हिरासत में ले लिया गया।

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