कोलकाता:  पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने रविवार को विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन दिए अपने भाषण पर उठी आलोचनाओं को खारिज किया। उन्होंने कहा कि उनका भाषण राज्य सरकार की नीतियों का प्रतिबिंब था, न कि राजभवन का।

बोस ने 10 फरवरी को बजट सत्र के पहले दिन भाषण दिया था। इस पर विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा था कि उनका भाषण राज्य सरकार ने शुरू में उन्हें जो प्रदान किया था उसका एक संशोधित संस्करण था। बोस ने पीटीआई से बातचीत में कहा, ‘राज्यपाल का भाषण राज्यपाल का नीति वक्तव्य नहीं होता, बल्कि राज्य सरकार का नीति वक्तव्य होता है। राज्य सरकार का नीति वक्तव्य मंत्रिमंडल की सलाह पर दिया जाता है। वह जो भी पारित करते हैं, वहीं सरकार की नीति होती है, जिसे राज्यपाल सदन में पेश करते हैं।’

उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्यपाल वहीं बोलेंगे जो मंत्रिमंडल ने लिखा है। बोस ने कहा, ‘कुछ ऐसे संदर्भों को हटाया जा सकता था, जो मैं सोच रहा था। लेकिन मैंने अपने विचार थोपने के बजाय सरकार को बताया कि ये वो बदलाव हैं, जो किए जा सकते हैं, जिन्हें उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। इसलिए एक आम सहमति बनी थी। राज्यपाल की भूमिका टकराव को प्रोत्साहित करना नहीं बल्कि आम सहमति बनाना है।’

मैंने भी कई राज्यपालों के भाषण लिखे, कभी विवादित टिप्पणियां नहीं जोड़ीं: बोस
पूर्व नौकरशाह बोस ने कहा, मैंने कई बार राज्यपाल के भाषण तैयार किए हैं और कभी भी उनमें कोई विवादास्पद टिप्पणियां या कटाक्ष नहीं जोड़े। राज्य सरकार के सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि चार फरवरी को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्यपाल के भाषण को संविधान के अनुच्छेद 163 (1) के अनुसार मंजूरी दी गई थी और उसे राज भवन भेजा गया था।