तपोवन: सरकारी कर्मचारियों के अनुबंध सेवाकाल को पदोन्नति और वित्तीय लाभ देने के लिए रेगुलर के बराबर नहीं समझे जाने के विधेयक को पारित करने स पहले विधानसभा सदन में चर्चा लाई गई। चर्चा के बाद विपक्ष के विरोध के बीच हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा की शर्तें विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ। इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि कर्मचारियों के भर्ती नियमों पर संशोधन लेकर आए हैं।
जो भी 12 दिसंबर 2003 के बाद अनुबंध पर लगे हैं, उनके बारे में यह विधेयक लाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट तक में हारने के बाद इस विधेयक को लाया गया है। यह संशोधन पिछली तिथि से लागू हो रहा है। उनकी पदोन्नति का क्या होगा। अनुबंध के कर्मचारी इससे परेशान होंगे। सरकार अगर इसे अगली तिथि से लागू करने की बात करती है तो भी इस पर विचार किया जा सकता है। हालांकि, उस बारे में भी विपक्ष विचार रखेगा। इस तरह का संशोधन सही नहीं है। इसे वापस लिया जाए।
भोजनावकाश के बाद विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा विधायक जीतराम कटवाल ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की प्रदेश के विकास में अहम भूमिका होती है। इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर सरकार विचार करे। कोर्ट में पक्ष रखने में भी ऐसे मामलों में कोई देरी नहीं लगती है। सांविधानिक बैंच का निर्णय माना जाना चाहिए। चुनाव के दौरान वर्तमान सरकार के प्रतिनिधियों ने भी बहुत सी घोषनाएं की थीं।
इस संबंध में बाद की तिथि से ही व्यवस्था की जाए। विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि अनुबंध कर्मचारी भी आयोग की ओर से ली गई परीक्षा के माध्यम से ही नियुक्त किए जाते हैं। यह कर्मचारी विरोधी निर्णय है। इसे प्रतिष्ठा का सवाल न बनाकर इस फैसले को वापस लिया जाए।
यह न तो न तो भावी और न ही पूर्वव्यापी रूप से लागू होना चाहिए। विधायक हंसराज ने भी कहा कि विधेयक पर पुनर्विचार होना चाहिए।