नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सिखों और सरदारों को निशाना बनाने वाले चुटकुलों के खिलाफ बच्चों और समुदायों को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। शीर्ष कोर्ट ने इसे महत्वपूर्ण मुद्दा करार दिया। कोर्ट ऐसे चुटकुलों पर रोक की मांग वाली 2015 की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
पीठ का तर्क
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस समस्या के हल के लिए व्यावहारिक उपाय तलाशने का सुझाव दिया। पीठ ने कहा, इस पर विचार होना चाहिए कि क्या स्कूलों में बच्चों को संवेदनशील बनाया जा सकता है। वकील हरविंदर चौधरी ने इस याचिका में तर्क दिया कि सिखों व सरदारों का उपहास करने वाले चुटकुले संविधान के समानता व सम्मान के अधिकार का उल्लंघन करते हैं। कोर्ट सरकार को ऐसे चुटकुले चलाने वाली वेबसाइटों व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से इन्हें हटाने के लिए कदम उठाने का निर्देश दे।
हरविंदर चौधरी ने निजी अनुभवों का किया जिक्र
हरविंदर चौधरी ने निजी अनुभवों का भी जिक्र किया। बताया, मैं हाईकोर्ट में बहस कर रही थी, तभी 12 बज गए और मेरा केस नंबर भी 12 था। मेरा मजाक उड़ाया गया। उन्होंने स्कूलों में सिख बच्चों को परेशान किए जाने पर भी चिंता जताई। याचिका में दावा किया गया कि शर्मिंदगी के डर से बच्चे सिंह व कौर उपनाम रखने से बचने लगे हैं। ब्यूरो
सुझाव देने के लिए आठ सप्ताह का वक्त
पीठ ने चौधरी व दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (डीएसजीएमसी) से आठ सप्ताह में कार्रवाई योग्य सुझाव मांगे। पिछली सुनवाई में, समिति ने कहा था कि ऐसेे चुटकुले सिख समुदाय की गरिमा कम करते हैं। चौधरी ने प्रस्ताव दिया, ऐसी सामग्री बनाने या साझा करने के लिए जिम्मेदार लोगों को राष्ट्रीय कानूनी सहायता कोष में मुआवजा देना चाहिए।