अलीगढ़: अलीगढ़ में पिसावा के गांव जलालपुर गांव के जमींदार कुंदन गोयल के परिवार में जन्मे सुधीर गोयल ने बचपन में संपन्नता देखी। जब थोड़ा होश संभाला तो सरकार ने जमींदारी छीन ली और परिवार के सामने आजीविका का संकट आ गया। तब सुधीर गोयल के पिता रमेश चंद्र गोयल ने जट्टारी में पांच हजार रुपये जुटा कर ऑटो पार्ट्स की दुकान खोली थी। सुधीर गोयल ने अपनी कड़ी मेहनत से इसे 50 करोड़ रुपये के टर्न ओवर तक पहुंचाया है।
सुधीर गोयल कहते हैं कि यहां तक का सफर इतना आसना नहीं था। आज उनके पास महिंद्रा, विक्रम, थ्रीव्हीर्ल्स, ईवी और ऑटोमोबाइल्स का पूरा साम्राज्य है। सन 1974 के आसपास एक वक्त था जब उनके घर में दो रुपये भी आ जाते थे तो लगता था कि बहुत कुछ आ गया है। बहुत कठिन दौर था। सरकार ने सब कुछ ले लिया था। बुआ की शादी की तो पास का पैसा भी गया। इसके बाद हालात मुश्किल ही होते गए।
टर्निंग प्वाइंट
सुधीर गोयल कहते हैं कि पिता रमेश चंद्र गोयल ने सन 1975 में जट्टारी में ऑटोपार्ट्स की दुकान खोली थी। शुरुआती संघर्ष के बाद काम चल निकला। इससे पहले खराद और कुटी मशीन के भी काम किए थे। काम कुछ पटरी पर आया तो दादा के नाम पर कुंदन टॉकीज सिनेमा हाल खोला। इसके साथ ही डीएस कॉलेज से सन 1983 में बीकॉम किया।
अगली पीढ़ी को सौंप रहे विरासत
सुधीर गोयल के भाई पंकज गोयल और नीरज गोयल उनके कारोबार में साथ हैं। तीनों भाइयों के बेटे सजल, सक्षम और काव्य कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं। सुधीर गोयल कहते हैं कि पीछे मुड़कर देखते हैं तो लगता है कि कोई घटनाक्रम एक साथ घटित हो रहा है। वह अपने परिवार में भी इस संघर्ष का अक्सर जिक्र करते हैं जिससे उन्हें सफलता के विषय में कोई भ्रम न रहे। उन्होंने बताया कि उनकी सफलता में ताऊ ओमप्रकाश गोयल का काफी योगदान है।