देश के विभिन्न हिस्सों की जेलों में बंद गैंगस्टर, माफिया और दूसरे आपराधिक तत्वों के कौन हैं सबसे बड़े मददगार? किसके दम पर चलती है जेलों में बंद ‘अतीक’ जैसे लोगों की माफियागिरी?
असद का सहयोगी, गुलाम भी झांसी में हुए एनकाउंटर में मारा गया। दोनों पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था। इनके पास से विदेशी हथियार बरामद हुए हैं।
गुजरात की साबरमती जेल में बंद अतीक को जब पेशी के लिए प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में लाया जाता है, तो उसने पुलिस के घेरे में कहा, मैंने वहां (जेल के अंदर) से किसी को फोन नहीं किया। जेल में तो जैमर लगाए गए हैं।
इससे पहले भी अतीक को लेकर ऐसी खबरें आ चुकी हैं कि जेल से ही उसकी माफियागिरी चलती रही है। जेल में बैठकर रंगदारी वसूलना या किसी को रास्ते से हटाना, ऐसे मामले अनेक राज्यों की जेलों में देखने को मिले हैं।
जेल से ही वह अपने गुर्गों को दिशा-निर्देश देता था। लोगों को धमकाने या रंगदारी वसूलने जैसी बातें फोन पर ही होती थीं। उसके ख़िलाफ गवाहों को दबाने या धमकी देकर डराने जैसे कई मामले सामने आए थे। जेल में बैठकर शूटरों को टॉस्क दिया जाता रहा है।