Saturday, September 21, 2024 at 3:28 PM

काम के बोझ की वजह से सीए की मौत से नाराज शशि थरूर, बोले- पांच दिन और आठ घंटे तय होने चाहिए

नई दिल्ली:महाराष्ट्र के पुणे में एक जानी मानी कंपनी अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) की 26 साल की कर्मचारी की मौत का मामला सियासी रंग ले चुका है। काम के बोझ तले युवती की जान जाने के मामले को लेकर कई नेताओं की प्रतिक्रिया आ चुकी है। अब इस मामले में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और सांसद शशि थरूर ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने 26 वर्षीय कर्मचारी की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि सप्ताह में काम के घंटों को कम करने और पांच दिन काम का सुझाव दिया। वहीं, मृतका एना सेबेस्टियन पेरायिल के पिता ने कहा कि हमने उसके काम का बोझ देखते हुए उसे नौकरी छोड़ने की सलाह दी थी।

सप्ताह में पांच दिन काम और आठ घंटे का समय तय करने का दिया सुझाव
काम के दबाव के चलते मौत होने से नाराज थरूर ने कहा कि एना सेबेस्टियन पेरायिल के पिता सिबी जोसेफ के साथ उनकी वार्ता हुई है। किसी को भी सप्ताह में पांच दिन और आठ घंटे से ज्यादा काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह काम के घंटे तय करने का मुद्दा आगामी सत्र में संसद में भी उठाएंगे। उन्होंने कहा कि चाहे वह निजी क्षेत्र में हो या सार्वजनिक कहीं भी आठ घंटे और पांच दिन से अधिक काम नहीं कराना चाहिए।

पिता बोले- दी थी नौकरी छोड़ने की सलाह
वहीं, अब उसके पिता सिबी ने कहा कि उसे रात में 12.30 बजे तक काम करना पड़ता था। हमने उसे नौकरी छोड़ने की सलाह दी, लेकिन उसने मना कर दिया। वह कहती थी कि इससे उसे पेशेवर बेहतर अनुभव मिलेगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि अत्यधिक काम के दबाव का मुद्दा ईवाई के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने रखा गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। सिबी जोसेफ ने कहा कि उसने सहायक प्रबंधक से शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने रात में भी काम करने पर जोर दिया। जोसेफ ने कहा कि हम कानूनी रूप से आगे बढ़ने की योजना नहीं बना रहे हैं, लेकिन हम नहीं चाहते कि ऐसी कॉर्पोरेट कंपनियों में शामिल होने वाले नए लोगों को इसी तरह की स्थितियों का सामना करना पड़े।

अर्न्स्ट एंड यंग इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी ने जारी किया बयान
बीच अर्न्स्ट एंड यंग इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी ने बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि कंपनी से कोई भी व्यक्ति अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ, क्योंकि यह उनकी संस्कृति से बिल्कुल अलग है और जब तक सामंजस्यपूर्ण कार्यस्थल को बढ़ावा देने का उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता, तब तक वह चैन से नहीं बैठेंगे। मेमानी ने यह भी कहा कि एक पिता के रूप में वह महिला की मां की पीड़ा को समझ सकते हैं, जिन्होंने उन्हें एक हृदय विदारक पत्र लिखा था।

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