Friday, November 22, 2024 at 12:53 PM

छात्राओं के वीडियो रिकॉर्ड करने का मामला, पोक्सो केस हटाने की आरोपी शिक्षक की याचिका खारिज

बंगलूरू: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने छात्राओं के कपड़े बदलते समय उनका वीडियो रिकॉर्ड करने के आरोपी स्कूल शिक्षक के खिलाफ POCSO कानून के तहत मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने हाल ही में दिए गए अपने फैसले में शिक्षक की हरकतों को ‘भयावह’ और आरोपों को गंभीर बताया था। शिक्षक को दिसंबर 2023 में गिरफ्तार किया गया था, जब अधिकारियों ने पाया कि उसने छात्रों की कपड़े बदलते हुए गुप्त रूप से वीडियो रिकॉर्ड की थी। घटना कोलार जिले में पिछड़े समुदायों के बच्चों के लिए संचालित होने वाले आवासीय विद्यालय की है।

अदालत ने पोक्सो के तहत मामला रद्द करने से किया इनकार
आरोपी शिक्षक ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और तर्क दिया कि उसके कृत्य POCSO अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न नहीं था। उच्च न्यायालय ने कहा कि ‘सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि याचिकाकर्ता के पास पांच अलग-अलग मोबाइल फोन पाए गए, जिनमें से सभी को जब्त कर लिया गया और फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया। प्रत्येक डिवाइस में लगभग 1,000 तस्वीरें और कई सौ वीडियो थे।’ हाई कोर्ट ने कहा कि बच्चों को इस तरह से फिल्माना स्पष्ट रूप से अधिनियम में उल्लेखित यौन उत्पीड़न की परिभाषा के अंतर्गत आता है।

कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
कोर्ट ने कहा, ‘POCSO अधिनियम की धारा 11 में निर्दिष्ट किया गया है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी बच्चे को इस तरह से अपना शरीर उजागर करने के लिए मजबूर करता है कि उसे अन्य लोग देख सकें, या कोई अनुचित इशारा करता है, वह यौन उत्पीड़न कर रहा है। ऐसा व्यवहार धारा 12 के तहत दंडनीय है।’ न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा कि शिक्षक के खिलाफ आरोप यौन उत्पीड़न की कानूनी परिभाषाओं के अनुरूप हैं, जिससे इस स्तर पर मामले को खारिज करना असंभव है।

कोर्ट ने कहा, ‘शिकायत, जांच के दौरान शिक्षक के बयान और फोरेंसिक रिपोर्ट सहित प्रस्तुत साक्ष्य स्पष्ट रूप से प्रथम दृष्टया मामला स्थापित करते हैं।’ शिक्षक के खिलाफ राज्य समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित एक हेल्पलाइन शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद जांच शुरू हुई और मामले का खुलासा हुआ। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षक को मुकदमे का सामना करना चाहिए, और निष्कर्ष निकाला कि इस स्तर पर याचिका को अनुमति देना उसके कार्यों को माफ करने के समान होगा।

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