नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (एससीएओआरए) ने शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर.गवई को पत्र लिखा। पत्र में संगठन ने दावा किया कि एक वरिष्ठ वकील को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से इसलिए समन जारी किया गया है, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर कानूनी सलाह दी थी। संगठन ने सीजेआई से इस मामले पर गौर करने का आग्रह किया है।

सूत्रों के मुताबिक, ईडी फिलहाल वरिष्ठ वकील प्रताप वेणुगोपाल को भेजा गया समन वापस लेने की प्रक्रिया में है। इससे पहले, एससीएओआरए के अध्यक्ष विपिन नायर ने इस घटनाक्रम को ‘गंभीर और चिंताजनक’ बताया और कहा कि यह वकील व उसके मुवक्किल की गोपनीयता और वकालत पेशे की आजादी पर गंभीर असर डाल सकता है।

यह पत्र तब लिखा गया जब ईडी ने वरिष्ठ वरिष्ठ वकील वेणुगोपाल को समन भेजा। उन्हें 19 जून को यह समन मिला, जो 18 जून को जारी हुआ था। यह समन धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएल) की धारा 50 के तहत जारी हुआ, जिसमें दस्तावेज प्रस्तुत करने और गवाही देने की शक्तियां शामिल हैं। समन मेसर्स केयर हेल्थ इंश्योरेंस लिमिटेड की ओर से दी गई कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ईएसओफी) की जांच के सिलसिले में जारी किया गया। इस मामले में वरिष्ठ वकील अरविंद दातार की ओर से दी गई एक कानूनी राय का जिक्र किया गया था, जिसमें प्रताप वेणुगोपाल ने वकील के रूप में समर्थन किया था। यह राय रिलिगेयर की पूर्व चेयरपर्सन रश्मि सलूजा को स्टॉक विकल्प दिए जाने को लेकर थी।

पत्र में कहा गया कि प्रताप वेणुगोपाल को 24 जून को ईडी के सामने पेश होने को कहा गया है। साथ ही यह भी जिक्र किया गया कि ईडी ने पहले भी वरिष्ठ वकील अरविंद दातार को नोटिस भेजा था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया था।