मथुरा:  मथुरा के गोविंदनगर थाना क्षेत्र कच्ची सड़क स्थित सिद्धबाबा मंदिर के पास माया टीले पर बने छह मकान ढह गए। हर तरफ मलबा और घरों में रखा सामान बिखरा था। मकानों में रहने वाले और टीले के नीचे काम करने वालों का कहीं अतापता नहीं था। टीले की नींव से मिट्टी की खोदाई कर दीवार बनाने का काम किया जा रहा था। हादसे में मिट्टी लेकर जा रहा ट्रैक्टर भी मौके पर ही दब गया। यह मंजर दिल को दहलाने वाला था। घटना में दो बच्चियों समेत युवक की माैत हो गई है।

सिद्धबाबा मंदिर के पास स्थित माया टीले पर एक सैकड़ा के करीब मकान बने हुए हैं। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि टीला ढहने से कभी इतना बड़ा हादसा भी हो सकता है। दरअसल माया टीला के साथ ही आसपास अंबरीश टीला, चिड़ीमार टीला भी हैं। ये सभी टीले एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। माया टीला की नींव से मिट्टी की खुदाई कर दीवार बनाने का काम किया जा रहा था। रविवार को भी सुबह से ही मिट्टी की खुदाई कराई जा रही थी। हाइड्रा की मदद से मिट्टी काटकर ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर भेजी जा रही थी। तभी दोपहर 12 बजे के करीब टीले के मिट्टी ढहना शुरू हुई और ऊपर बने छह मकान भरभराकर ढह गए। इससे मकान में रहने वाले लोगों के साथ ही नीचे काम कर रहे मजदूर भी दब गए। मिट्टी भरकर ले जा रहा ट्रैक्टर भी मलबे में दब गया।

टीला इस तरह खिसका कि मकानों का मलबा 60 से 70 फुट दूर तक फैला पड़ा था। कहीं मलबे में गेट नजर आ रहा था तो कहीं खिड़ी। किसी का बक्सा पड़ा था तो किसी का फ्रिज। जिसने भी यह मंजर देखा उसका दिल दहल गया। नगर निगम और प्रशासन के अधिकारी जब मौके पर पहुंचे तो उनके भी हाथ पैर फूल गए। किसी को नहीं पता था कि मलबे में कितनी जिंदगियां दबी हैं। ढहने के बाद बचे आधे-अधूरे मकान भी लटक रहे थे, जिनसे कभी भी दोबारा हादसे की आशंका भी बनी हुई थी। अधिकारी भी इस मंजर को देखकर परेशान थे, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर शुरू कहां से करें। साढ़े 12 बजे के करीब मलबा हटाने का काम नगर निगम और अग्निशमन की टीम ने शुरू किया। इस दौरान मलबे से पहले एक युवक को निकाला गया और अधूरे मकान से दो बच्चियों को निकाला गया। तीनों को जिला अस्पताल में चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। वहीं मलबा हटाने का काम लगातार जारी है।