मैनपुरी:  मैनपुरी में एडीजे-4 जहेंद्र पाल सिंह के न्यायालय ने साक्ष्यों के आधार पर इस मुकदमे के दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। सजा के आदेश में अदालत ने उल्लेख किया है कि कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि यह मामला दुर्लभतम से भी दुर्लभ मुकदमे की श्रेणी में आता है।

नरेंद्र की हत्या साधारण परिस्थिति में नहीं की गई। नरेंद्र को तड़पा-तड़पाकर अभय उर्फ भूरा द्वारा मारना, उसके सिर पर पैर रखकर खड़े हो जाना, सीने व पेट पर पैरों से अभियुक्त अभय उर्फ भूरा द्वारा मारना, निश्चित रूप से नरेंद्र के शरीर के टुकड़े-टुकड़े करने जैसा कृत है। अभियुक्त अभय नरेंद्र के शरीर से बहते हुए खून पर एक तरफ से दूसरी तरफ घूमते हुए बार-बार नरेंद्र पर प्रहार करता है।

यही कृत्य इस केस को निश्चित रूप से हत्या के अन्य केसों से अलग करता है। इस संपूर्ण घटना में अभियुक्ता मनू, अभियुक्त अभय का साथ इसी प्रकार से देती है जैसे वह अपराध मनू द्वारा ही किया जा रहा है। इससे सिद्ध है कि अभियुक्ता मनू भी सामान्य प्रकृति की महिला नहीं है। इसलिए वह न्यायालय से किसी भी प्रकार की सहानुभूति पाने की अधिकारी नहीं है।

नरेंद्र की हत्या के वीडियो एवं अभियोजन पक्ष की ओर से पेश की गई अन्य वीडियो से साफ जाहिर होता है कि अभियुक्ता मनू और उसका कथित प्रेमी अभय उर्फ भूरा एक गैंग बनाकर सुनियोजित तरीके से लोगों को मनू के घर पर बुलाते हैं, फिर मनू उन व्यक्तियों को पहले प्रेम जाल में फंसाती है, उसकी वीडियो बनवाती है और फिर उन वीडियो को सार्वजनिक करने की धमकी देकर उन व्यक्तियों को स्वयं भी पीटती है व अभियुक्त अभय उर्फ भूरा से भी पिटवाती है। जब व्यक्ति पैसे नहीं देते हैं तो उनकी हत्या करवा देती है।