महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने मंगलवार को बताया कि जब भारत ने एक स्वतंत्र वाहन निर्माता के रूप में शुरुआत की थी, तो दुनिया का मानना था कि इसके सफल होने की संभावना बहुत कम है। उन्होंने यह विचार उस समय व्यक्त किए जब वाहन निर्माता कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा ने बाजार पूंजीकरण के आधार पर दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी बनकर 43.12 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचकर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वर्ल्ड ऑफ स्टेटिस्टिक्स की ओर से जारी की गई सबसे मूल्यवान कार निर्माताओं की वैश्विक रैंकिंग में एमएंडएम को शामिल किया गया है। इस उपलब्धि पर बोलते आनंद महिंद्रा ने शुरुआती वर्षों में भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग के सामने आई चुनौतियों को याद किया। उन्होंने कहा, “1991 में जब भारतीय अर्थव्यवस्था खुली तो दुनिया को लगा कि एक स्वतंत्र वाहन निर्माता के रूप में हमारे अस्तित्व की संभावनाएं बहुत कम हैं।”
महिंद्रा ने इंजन विशेषज्ञता के लिए स्टेलेंटिस (प्यूजो) और आधुनिक कारों के निर्माण के लिए फोर्ड और रेनॉल्ट जैसी वैश्विक कंपनियों के साथ सहयोग के महत्व पर बल दिया। महिन्द्रा ने इन साझेदारियों के लिए आभार व्यक्त किया, और कहा कि इसके साथ साझेदारी से कंपनी को जानकारी प्राप्त करने और ऑटोमोटिव क्षेत्र में अपनी नींव मजबूत करने में मदद मिली।