बॉम्बे: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में बच्चा चोरी के मामले में एक समलैंगिक जोड़े को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने जमानत का आदेश देते हुए अहम टिप्पणी में कहा कि जोड़े ने सिर्फ अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए गैरकानूनी रास्ता चुना। कोर्ट ने इस बात को माना कि जोड़े ने बच्चे को प्रताड़ित नहीं किया था। जस्टिस मनीष पिटाले की एकल जज पीठ ने 19 नवंबर को यह आदेश दिया।
अदालत ने कहा- इच्छापूर्ति के लिए चुना गैरकानूनी रास्ता
गौरतलब है कि समलैंगिक जोड़ा बीते आठ महीने से जेल में बंद है। अदालत ने कहा कि ‘इससे बुरा क्या हो सकता है कि आवेदकों (समलैंगिक जोड़े) को अपनी इच्छा पूर्ति के लिए गैरकानूनी रास्ता अपनाना पड़ा। जोड़े ने एक तीसरे आरोपी की मदद से बच्ची को उसके माता-पिता से अलग किया।’ अदालत ने कहा कि ऐसे लोगों को दुर्भाग्य से समाज में उपहास का सामना करना पड़ता है। अदालत ने कहा कि समलैंगिक जोड़े ने जो अपराध किया है, उसमें जमानत मिल सकती है।
क्या है पूरा मामला
कोर्ट ने माना कि ‘दोनों आरोपी महिलाएं बीते कई वर्षों से रिश्ते में हैं और वे बच्चा चाहती थीं, लेकिन यह जैविक रूप से असंभव है। जो मौजूदा कानून हैं, उनके मुताबिक वे बच्चा गोद भी नहीं ले सकती थीं।’ इस साल मार्च में मुंबई के एक दंपति ने उनकी बेटी के गुम होने की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस जांच में बच्ची को एक महिला के साथ देखा गया। जांच में पता चला कि आरोपी महिला ने समलैंगिक जोड़े को उस बच्ची को बेच दिया था। पुलिस ने समलैंगिक जोड़े के घर से बच्ची को बरामद कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के बाद से ही जोड़ा जेल में बंद था।