Friday, November 22, 2024 at 2:59 PM

अब नहीं सुनाई देगी ‘हाय कैप्टन’ कहने वाली आवाज, पूर्व सैन्य अधिकारी ने सुनाए रतन टाटा संग बिताए पल

मुंबई:  भारतीय उद्योग जगत की महान हस्ती रतन टाटा के निधन के बाद हर कोई शोक में है। 1992 में महाराष्ट्र और गुजरात में तैनात रहे रिटायर्ड कर्नल विनायक सुपेकर ने रतन टाटा के संग बिताए पलों को साझा किया। उन्होंने कहा कि मुंबई के कोलाबा क्षेत्र में यूनाइटेड सर्विसेज क्लब में अक्सर सैर के दौरान उनकी रतन टाटा से मुलाकात होती थी। रतन टाटा उनको हाय कैप्टन कहकर संबोधित करते थे। मगर अफसोस अब यह आवाज नहीं सुनाई देगी।

रिटायर्ड कर्नल ने कहा कि तब मैं एमएंडजी क्षेत्र में जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल बीजी शिवले के सहयोगी के रूप में तैनात था। एक बार मेरे सहयोगी लेफ्टिनेंट कर्नल बीएस बिष्ट के बेटे विजय बिष्ट को घोड़े से गिरने के बाद पैर में गंभीर चोट लग गई थी। वह दिव्यांग हो गया। कुछ समय बाद मुझे पता लगा कि विजय नौकरी की तलाश में है।

उन्होंने बताया कि एक बार सैर के दौरान मैनें रतन टाटा को बताया कि एक साथी सैन्य अधिकारी का बेटा कमर के नीचे विकलांग है और उसे नौकरी की जरूरत है। इस पर टाटा ने कहा कि जरूरी कदम उठाए जाएंगे। पुणे में रहने वाले कर्नल सुपेकर ने बताया कि अगली सुबह विजय के पास दक्षिण मुंबई में टाटा समूह के मुख्यालय बॉम्बे हाउस से फोन आया और उनसे प्रशासन अनुभाग में ड्यूटी के लिए रिपोर्ट करने के लिए कहा गया।

उन्होंने रतन टाटा की विनम्रता के बारे में सेना के एक पशु चिकित्सक द्वारा बताई गई एक और घटना का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कोलाबा के सेना पशु चिकित्सालय में रतन टाटा अपने कुत्ते को नियमित जांच के लिए ले जाते थे। एक बार एक साथी सेना अधिकारी ने टाटा को धैर्यपूर्वक कतार में अपनी बारी का इंतजार करते देखा। अधिकारी ने उनसे कतार से बाहर जाने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने विनम्रता से मना कर दिया।

उन्होंने बताया कि पशुचिकित्सक के लिए ऐसे व्यक्ति में ऐसी विनम्रता देखना यादगार पल रहा। पूर्व सेना अधिकारी ने 26 जनवरी 1992 को मुंबई के राजभवन में एक कार्यक्रम में रतन टाटा और जेआरडी टाटा से मुलाकात और जेआरडी ने उड़ान के प्रति उनके जुनून के बारे में प्रशंसा किए जाने की भी बात कही। उद्योग जगत की हस्ती रतन टाटा ने 86 साल की आयु में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन पर देशभर में शोक की लहर है।

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