Friday, November 22, 2024 at 5:13 PM

‘हैदराबाद मुक्ति दिवस न मनाने के पीछे सरकारों की वोट बैंक और तुष्टिकरण नीति

हैदराबाद:सिकंदराबाद लोकसभा सीट से निर्वाचित भाजपा सांसद और तेलंगाना बीजेपी प्रमुख जी किशन रेड्डी ने कहा है कि वोट बैंक की राजनीति के कारण कई दशों तक सरकारों ने ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने से परहेज किया। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के गठन के बाद की सरकारों ने तुष्टिकरण की नीति अपनाई। यही कारण रहा कि सरकारों ने 17 सितंबर को आधिकारिक तौर पर ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने से इनकार कर दिया।

तीन साल से हैदराबाद मुक्ति दिवस आधिकारिक तौर पर मना रही केंद्र सरकार
केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी ने आरोप लगाया है कि अविभाजित आंध्र प्रदेश और 2014 में तेलंगाना गठन के बाद राज्य सरकारों ने तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की पहल पर बीते तीन साल से हैदराबाद मुक्ति दिवस आधिकारिक तौर पर मनाया जा रहा है। हालांकि, राज्य सरकार इस मौके पर कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत राष्ट्र समिति (BRS) और कांग्रेस राज्य की जनता को ‘मुक्ति दिवस’ के मौके पर लोगों को धोखा दे रही हैं।

कई वर्षों तक मुक्ति दिवस के दिन राज्य का आधिकारिक कार्यक्रम क्यों नहीं
गौरतलब है कि भारत की आजादी के बाद साल 1948 में हैदराबाद के तत्कालीन निजाम ने भारत में विलय की शर्त 17 सितंबर को मंजूर की थी। इस मौके को केंद्र सरकार बीते तीन साल से हैदराबाद मुक्ति दिवस के रूप में मनाती है। केंद्र सरकार के एक समारोह में केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने तेलंगाना के पूर्व सीएम के चंद्रशेखर राव से सवाल किया कि आखिर राज्य सरकार ने कई वर्षों तक मुक्ति दिवस के दिन आधिकारिक कार्यक्रम क्यों नहीं आयोजित किए। रेड्डी ने आरोप लगाया कि सीएम बनने के बाद केसीआर ने अपने सुर बदल दिए। सहयोगी दल- ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के साथ मिलकर मुक्ति दिवस की गलत व्याख्या की।

तेलंगाना के लिए 17 सितंबर, 15 अगस्त जितना ही अहम
रेड्डी ने कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक की सरकारें हैदराबाद मुक्ति दिवस के मौके पर आधिकारिक कार्यक्रम कर रही हैं, लेकिन तेलंगाना और अविभाजित आंध्र प्रदेश की सरकारों ने आधिकारिक तौर पर इस दिन को मनाने से इनकार कर दिया है। केंद्रीय कोयला मंत्री ने आरोप लगाया कि तेलंगाना के इतिहास को दबाया गया। इसे तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। लोगों को गुमराह किया गया। वोट बैंक की राजनीति और तुष्टिकरण के लिए गलत इरादों से तथ्यों को छिपाया गया। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को इतिहास से अवगत कराया जाना चाहिए। बकौल रेड्डी, तेलंगाना के लिए 17 सितंबर उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि देश के लिए 15 अगस्त। इस अवसर को मनाने के लिए ‘मुक्ति दिवस’ सही शब्द है। इसी दिन जनता को निजाम शासन से मुक्ति मिली थी और ‘रजाकारों’ (निज़ाम शासन के सशस्त्र समर्थकों) के अत्याचारों का अंत हुआ था।

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