Friday, November 22, 2024 at 12:55 AM

मुलायम सिंह यादव का वो पैंतरा… जिसकी वजह से भाजपा-बसपा की कभी न हो सकी मैनपुरी सीट; मोदी लहर भी न आई काम

सपा नेता मुलायम सिंह यादव का जन्म भले ही इटावा की धरती पर हुआ हो, लेकिन वो अपनी कर्मभूमि मैनपुरी की जनता के मन को अच्छी तरह से जानते थे। जब भी उन्हें मैनपुरी सीट पर खतरा दिखाई दिया तो वे स्वयं ही चुनावी मैदान में कूद पड़े। अपने खुद के भतीजे और पौत्र की रिकॉर्ड जीत के बाद भी उन्होंने मैनपुरी से उनकी टिकट काटकर चुनाव लड़ा।

2004 में जीत के बाद दिया था यहां से इस्तीफा
वर्ष 2004 में मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी लोकसभा सीट जीतकर इस्तीफा दे दिया। यहां से उपचुनाव में उन्होंने अपने भतीजे धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया। धर्मेंंद्र यादव ने इस चुनाव में 3,48,999 मत प्राप्त करते हुए बसपा के अशोक शाक्य को 1,79,713 मतों से पराजित किया। वर्ष 2009 में जब लोकसभा चुनाव हुआ तो प्रदेश में बसपा की सरकार थी। मुलायम को पता चला कि मैनपुरी में बसपा कुछ गड़बड़ करा सकती है। ऐसे में मुलायम सिंह 2009 के आम चुनाव में खुद ही प्रत्याशी के रूप में मैदान में आए और उन्होंने बसपा के विनय शाक्य को पराजित कर 1,73,069 मतों से जीत दर्ज की।

पौत्र तेजप्रताप सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा
वर्ष 2014 के आम चुनाव में जीत के बाद मुलायम सिंह ने फिर से मैनपुरी सीट से इस्तीफा दे दिया। इस बार उन्होंने अपने पौत्र तेजप्रताप सिंह यादव को मैनपुरी सीट से प्रत्याशी बनाया। तेज प्रताप यादव ने इस चुनाव में रिकॉर्ड 6,53,786 मत प्राप्त किए। इस चुनाव में तेज प्रताप ने भजपा के प्रेम सिंह को 3,21,149 मतों से पराजित किया। वर्ष 2019 में प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। मुलायम समझ गए मैनपुरी में कुछ गड़बड़ हो सकता है। ऐसे में उन्होंने 2019 के चुनाव में तेजप्रताप की टिकट कटवा दी और स्वयं प्रत्याशी बन गए। यह चुनाव काफी रोमांचक रहा। इस चुनाव में मुलायम सिंह यादव को 94,389 मतों से जीत मिली।

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