भारत और जर्मनी के बीच 6 पनडुब्बियों के लिए करीब 43, 000 करोड़ रुपये की डील होने जा रही है. रक्षा सौदे के लिए जर्मनी की रक्षा कंपनी थाइसेनक्रुप मरीन सिस्टम (टीकेएमएस) और भारत सरकार की मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने समझौता किया है.
दोनों कंपनियों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो इस डील पर बोली लगाने के लिए है. इस डील के दौरान जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस भी मौजूद थे.
एक दिन पहले 6 जून को पिस्टोरियस ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ मुलाकात की थी. आखिर भारत जर्मनी से रही सबमरीन क्यों खरीदना चाहता है. भारत के सामने हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करना बड़ी चुनौती है.
भारत लंबे समय से अपनी नौसना के लिए पनडुब्बियां हासिल करने कीशिशों में लगा हुआ है. मौजूदा समय में भारतीय नौसेना के पास 16 सबमरीन है. चिंता की बात ये है कि इनमें से 11 बहुत ज्यादा पुरानी हो चुकी हैं. भारत और जर्मनी के बीच पनडुब्बियों के निर्माण के लिए जो डील हुई है, उसके मुताबिक 6 आधुनिक डीजल अटैक सबमरीन बनाई जाएंगी.