अखिलेश यादव ने जिस तरह से मायावती के दलित वोट बैंक में सेंधमारी करने के लिए अपनी सियासी चाल चली है, ठीक उसके उलट मायावती ने भी सियासी दांव पर चलकर समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी करने की बड़ी योजना बनाई है।
2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बहुजन समाज पार्टी ने निकाय चुनावों से अपनी फील्ड सजानी शुरू की है। उसकी बानगी बहुजन समाज पार्टी की ओर से निकाय चुनावों में मेयर पद के मुस्लिम उम्मीदवारों पर लगाए गए दांव से दिखती है।
सियासी गलियारों में मायावती की ओर से 11 मुस्लिम प्रत्याशियों को मेयर के पद के लिए चुनावी मैदान में उतारना अखिलेश यादव के दलित प्रेम का काउंटर माना जा रहा है।
अखिलेश यादव ने दलितों को अपनी ओर जोड़ने के लिए जो सियासी दांव चले हैं, उससे बहुजन समाज पार्टी को नए राजनीतिक नजरिए से बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है। समाजवादी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए ही अपने कोर वोट बैंक के साथ दलितों को जोड़ने की शुरुआत की है।