उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के देवबंद में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की मीटिंग में कई अहम प्रस्ताव पारित किए गए। आज जलसे के दौरान कई अहम प्रस्ताव पेश किए गए. प्रस्ताव में कहा गया कि समान नागरिक संहिता लागू करने को मूल संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने की कोशिशों की जा रही है.
मुस्लिम पर्सनल लॉ में शामिल शादी, तलाक, खुला (बीवी की मांग पर तलाक), विरासत आदि के नियम-कानून किसी समाज, समूह या व्यक्ति के बनाए नहीं हैं. नमाज, रोजा, हज की तरह ये भी मजहबी आदेशों का हिस्सा है. जो पवित्र कुरान और हदीसों से लिए गए हैं.
जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कहा कि देश में नकारात्मक राजनीति के अवसर निकाले जा रहे हैं। मंदिर-मस्जिद के विवाद से देश की शांति को नुकसान होगा। सबको साथ लेकर चलने से ही राष्ट्र निर्माण होगा।
अनेक राज्यों में सत्तारूढ़ लोग पर्सनल लॉ को खत्म करने की मंशा से ‘समान नागरिक संहिता क़ानून’ लागू करने की बात कर रहे हैं संविधान व पिछली सरकारों के आश्वासनों और वादों को दरकिनार कर के देश के संविधान की सच्ची भावना की अनदेखी करना चाहते हैं. निचली अदालतों ने बाबरी मस्जिद के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की भी अनदेखी की है.