कर्नाटक हाई कोर्ट में आज फिर हिजाब मामले पर सुनवाई शुरू हो गई है। इस मामले पर याचिकाकर्ता छात्राओं की ओर से पेश वकील देवदत्त कामत ने दलीलें पेश की थीं। इस दौरान उन्होंने दक्षिण अफ्रीका और तुर्की के कानूनों का हवाला दिया था।
याचिकाकर्ता छात्राओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने अदालत के सामने दक्षिण अफ्रीका की एक अदालत के फैसले का उल्लेख किया। इसमें मुद्दा यह था कि क्या दक्षिण भारत से संबंध रखने वाली एक हिंदू लड़की क्या स्कूल में नाक का आभूषण (नोज रिंग) पहन सकती है।
कामत ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका की अदालत ने पैसले में कहा था कि अगर ऐसे छात्र-छात्राएं और हैं जो अपने धर्म या संस्कृति को व्यक्त करने से डर रहे हैं तो उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। कामत ने कहा कि दक्षिण अफ्रीकी अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि धर्म और संस्कृति का सार्वजनिक प्रदर्शन विविधता का एक उत्सव है जो हमारे स्कूलों को समृद्ध करता है।