Friday, November 22, 2024 at 6:17 PM

आम चुनाव के लिए 60 संगठनों ने जारी किया पांच सूत्री मांग पत्र, सोनम वांगचुक बोले- खतरे में हिमालय

देश में 60 से अधिक पर्यावरण और सामाजिक संगठनों ने हिमालय में बड़ी परियोजनाओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इनमें रेलवे की परियोजनाएं, जल विद्युत परियोजनाएं, चार लेन राजमार्ग परियोजनाएं शामिल हैं। इन 60 संगठनों की मांग है कि ऐसे किसी भी प्रोजक्ट को शुरू करने से पहले जनमत संग्रह और सार्वजनिक परामर्श लिया जाए। इस संगठन को पीपुल फॉर हिमालय नाम दिया गया है। संगठन द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पांच सूत्री मांग पत्र जारी किया गया है।

क्या है ‘पीपुल ऑफ हिमालया’ की मांग?
पीपुल ऑफ हिमालया संगठन की मांग है कि हिमालय के किसी भी क्षेत्र में बड़ी परियोजनाओं के लिए जनमत संग्रह के माध्यम से लोकतांत्रिक निर्णय लिया जाए। संगठन का कहना है कि ऐसे मेगा प्रोजक्ट्स की वजह से हिमालय का अस्तित्व खतरें में पड़ रहा है।

सोनम वांगचुक ने बताई यह बातें
जयवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधीत करते हुए कहा कि बड़ी परियोजनाओं की वजह से हिमालय का शोषण हो रहा है। इस वजह से स्थानीय लोगों को प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि पुनर्वास के प्रयासों के लिए सरकार द्वारा करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल किया जाता है। बता दें कि सोनम वांगचुक ने लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत शामिल करने की मांग को लेकर 21 दिनों का जलवायु उपवास रखा था। उन्हें जनता का भारी समर्थन मिला था।

पूर्वोत्तर में गंभीर हो गई स्थिति- मोहन सैकिया
इस संगठन में पूर्वोत्तर संवाद मंच के मोहन सैकिया भी शामिल हैं। उनका कहना है कि स्थानीय लोगों की सहमति के बिना ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी घाटियों में बड़े पैमानें पर जलविद्युत परियोजनाएं चल रही हैं। ऐसे में परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं। इन प्रोजक्ट का दूरगामी प्रभाव प्राकृतिक आपदा के रूप में सामने आता है।

संगठनों ने रखी यह मांग
हिमालय नीति अभियान के गुमान सिंह और जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के कर्ता धर्ता अतुल सती ने कहा कि ब्यास बाढ़ और जोशीमठ में भूमि धंसाव होना ऐसी ही नीतियों का परिणाम है।

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