मिशन 2022 के सत्ता संग्राम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘बुलडोजर’ की सियासी मैदान में खूब चर्चा रही। इस चुनाव ने साबित कर दिया कि ‘बाबा’ के बुलडोजर के सामने विपक्षी दल टिक नहीं सका।
दिलचस्प बात यह है कि योगी को बुलडोजर बाबा का उपनाम समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ही दिया था। गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर के प्रमुख के रूप में आदित्यनाथ को पहले से ही ‘बाबा’ कहा जाता है।
भाजपा ने अखिलेश यादव के इस तंज को हाथों-हाथ लिया और इसे योगी आदित्यनाथ के सख्त कानून व्यवस्था बनाए रखने के सुशासन से जोड़ दिया। पार्टी ने इस जुमले को खूब भुनाया और पूरे चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ‘बुलडोजर बाबा’ कहलाने लगे।
देखते ही देखते भाजपा की हर रैली में यह नारा गूंजने लगा ‘यूपी की मजबूरी है, बुलडोजर जरूरी है’। गुरुवार को जब चुनाव नतीजे आए और भाजपा के जीत की तस्वीर साफ होने लगी तो ट्वीटर पर ‘बुलडोजर इज बैक’ ट्रेंड करने लगा।
उस समय अमेरिका में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अशांति का दौर चल रहा था। इस चुनाव में बुलडोजर शब्द का इस्तेमाल अश्वेत मतदाताओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा करने या तो उन्हें चुनाव से दूर रखने के लिए डराने-धमकाने के लिए किया गया।