चमोली जिले के ऐतिहासिक गांव नानि-काशी हाट (छोटी काशी) के निवासियों ने आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित मंदिरों को बचाने के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखकर गुहार लगाई है।
पत्र में कहा गया है कि टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की ओर से उनके गांव के नजदीक चलाई जा रही 444 मेगावाट की विष्णुगाढ़-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना के चलते उनके घरों के साथ-साथ क्षेत्र के प्राचीन मंदिरों के लिए भी खतरा पैदा हो गया है। पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में ग्रामीणों ने कहा है कि टिहरी हाइड्रो विकास निगम ने गांव के ठीक ऊपर कूड़ा डंपिंग जोन बनाया है।
ग्रामीणों के समर्थन में सामने आया आईएनटीएसीएच इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (आईएनटीएसीएच) भी ग्रामीणों के समर्थन में सामने आया है। आईएनटीएसीएच ने टीएचडीसी के साथ-साथ विश्व बैंक इस संबंध में पत्र लिखा है। विश्व बैंक इस परियोजना को वित्त पोषित कर रहा है।इस बीच विश्व बैंक के अधिकारियों ने पिछले दिनों करीब दो दर्जन ग्रामीणों के साथ ऑनलाइन बैठक की। जिसमें प्रधान हटवाल ने कहा कि विश्व बैंक इस परियोजना के लिए ऋण कैसे मंजूर कर सकता है, यदि उसे परियोजना स्थल और इसके महत्व के बारे में पता ही नहीं है? हमारे गांव में प्राचीन युग से संबंधित लगभग 15-20 छोटे मंदिर समूह हैं।
ग्रामीणों के समर्थन में सामने आया आईएनटीएसीएच इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (आईएनटीएसीएच) भी ग्रामीणों के समर्थन में सामने आया है। आईएनटीएसीएच ने टीएचडीसी के साथ-साथ विश्व बैंक इस संबंध में पत्र लिखा है। विश्व बैंक इस परियोजना को वित्त पोषित कर रहा है।इस बीच विश्व बैंक के अधिकारियों ने पिछले दिनों करीब दो दर्जन ग्रामीणों के साथ ऑनलाइन बैठक की। जिसमें प्रधान हटवाल ने कहा कि विश्व बैंक इस परियोजना के लिए ऋण कैसे मंजूर कर सकता है, यदि उसे परियोजना स्थल और इसके महत्व के बारे में पता ही नहीं है? हमारे गांव में प्राचीन युग से संबंधित लगभग 15-20 छोटे मंदिर समूह हैं।