Sunday, September 8, 2024 at 9:48 AM

कान्हा की नगरी में अजब हाल, सड़क पर बैठकर पढ़ते हैं ‘बाल गोपाल’…हैरान कर देगी ये तस्वीर

मथुरा: कान्हा की नगरी मथुरा में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है। यहां बाल गोपाल सड़क पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। मामला उच्च प्राथमिक कंपोजिट विद्यालय नगला बूढ़ा मांट ब्लॉक का है।

यह तस्वीर उस कहानी की सच्चाई को बयां करती है जो सरकारी व्यवस्था को आइना दिखाती है। मांट ब्लॉक में उच्च प्राथमिक कंपोजिट विद्यालय नगला बूढ़ा है। विद्यालय में कक्षा 1 से कक्षा 8 तक की क्लास संचालित की जाती है। रोजाना विद्यालय में गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। इन बच्चों को विद्यालय में क्या सुविधा दी जाती है। तस्वीर इसे बयां कर रही है। यहां आने वाले बच्चों को क्लासरूम न होने की वजह से स्कूल के अंदर चलने के लिए बनाई गई रास्ते की सड़क पर बैठाकर पढ़ाया जाता है।

प्रधानाध्यापक हरी निवास ने बताया कि विद्यालय का भवन 2009 में बना था। इसके कुछ साल बाद इसमें बने कक्ष जर्जर हो गए। अक्तूबर 2023 में जर्जर कक्षों की नीलामी हुई। इसके बाद नवंबर महीने में नीलामी में चिन्हित किए गए जर्जर कमरों को ध्वस्त कर दिया गया। जिन 4 कमरों को ध्वस्त किया गया था उनमें कक्षा 6, 7 और 8 की क्लास लगती थी। प्रधानाध्यापक ने बताया कि अब विद्यालय में केवल दो कमरे शेष बचे हैं, जिसमें प्राइमरी स्कूल का संचालन किया जा रहा है।

बताया कि नीलामी में 1 लाख 78 हजार की धनराशि मिली थी। जो विद्यालय में कक्ष निर्माण के लिए पर्याप्त नहीं है। इसलिए धनराशि विभागीय खाते में ही जमा है। बीएसए सुनील दत्त का कहना है कि छात्रों के लिए जल्द ही वैकल्पिक इंतजाम किया जाएगा। भवन के निर्माण के लिए पत्र भेजा जाएगा। वहीं आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष दुष्यंत सारस्वत ने बताया कि ‘हम अमर उजाला की इस मुहिम का समर्थन करते हैं। अधिकारियों को इस समस्या का प्राथमिकता के साथ निस्तारण करना चाहिए।’

बिना तैयारी के ध्वस्त कर दिए कक्ष
बिना तैयारी के कक्षों को ध्वस्त तो कर दिया गया। तब से अब तक इसका खामियाजा कक्षा 6, 7 और 8 में पढ़ने वाले करीब 62 छात्रों को उठाना पड़ रहा है। छात्रों के पास बैठने के लिए क्लास नहीं है। कोर्स पूरा कराने के लिए शिक्षक इन्हें सड़क पर बैठाकर पढ़ाते हैं। बारिश और तेज धूप होती है तो बच्चों की पढ़ाई बंद हो जाती है। बच्चे भाग कर छत के नीचे चले जाते हैं। जब तक बारिश बंद नहीं होती, बच्चों की पढ़ाई चालू नहीं होती।

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