अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा रुपये की कीमत में गिरावट का दौर लगातार जारी है।भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर होता जा रहा है। एक साल पहले रुपया डॉलर के मुकाबले 73.21 रुपए था और अब लगभग 77.62 रुपये के स्तर पर आ गया है।विदेशी शिक्षा के लिए डॉलर भेजना महंगा हो जाएगा। विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपए की कमजोरी को थामने में मदद की।
रुपए के गिरावट को अगर हम 2017 से देखे तो 2017 में आपको एक डॉलर खरीदने के लिए 64 रुपये खर्च करने पड़ते थे, लेकिन अब आपको 77 रुपये की जरूरत है। यह रुपए की कमजोर स्तर को दर्शाता है। रुपया पिछले सत्र में डॉलर के मुकाबले 79.26 के अपने सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ था। इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.31 प्रतिशत बढ़कर 107.34 पर पहुंच गया।
रुपये के गिरने या कमजोर होने का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव पड़ने के अलावा हमारे व्यक्तिगत वित्त पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। भारत बड़े पैमाने पर एक आयात करता है दो रुपए का गिरना देश के आयात के लिए ठीक नहीं है।