Thursday, December 12, 2024 at 11:54 AM

पुष्पराज को चाचा बनाकर सीक्वल में पास हो गए सुकुमार, सज गया ‘पुष्पा 3’ का ताना बाना

किसी सुपरहिट फिल्म का सीक्वल बनाना आसान नहीं है। खासतौर से तब जब सीक्वल को बड़ा बनाने के लिए इसके कलाकारों का अहं इतना बड़ा हो जाए कि वे आपस में ही भिड़ जाएं। तेलुगु सिनेमा के दिग्गज निर्देशक सुकुमार और निर्माता अल्लू अरविंद के बेटे अल्लू अर्जुन के अहं का फिल्म ‘पुष्पा 2’ की मेकिंग के दौरान जो टकराव हुआ, वह तो तारीखी रहेगा ही लेकिन इस फिल्म के अंतिम नतीजों के आगे सब माफ है। इस फिल्म का मामला मलयालम फिल्म अभिनेता फहद फासिल की तारीखों के चलते भी लटका और इस बार ‘पुष्पा 2 द रूल’ की कहानी ‘पुष्पा 3 द रैम्पेज’ तक ले जाने से पहले इसीलिए सुकुमार ने ऐसे सारे कील कांटे दुरुस्त कर लिए हैं। ‘तेरी झलक अशर्फी’ और ‘ऊ अंटावा’ जैसे गाने बनाने वाले रॉकस्टार देवी श्री प्रसाद भले इस बार मूड में नजर नहीं आए, लेकिन अल्लू अर्जुन ने चाचा बनकर मसाला फिल्में पसंद करने वाली पब्लिक का दिल जीत लिया है।

श्रेयस तलपदे की आवाज का कमाल
रिव्यू अपन शुरू से शुरू करते हैं और बात करते हैं उस पुष्पराज की जिसने पिछली ही फिल्म में नारा लगा दिया था कि ‘मैं झुकेगा नहीं’। अल्लू अर्जुन खुद हिंदी में इसे डब करते तो पता नहीं कैसा करते लेकिन श्रेयस तलपदे ने फिर एक बार पुष्पा राज के किरदार को परदे पर खिला दिया है। फ्लावर से वाइल्ड फायर बनने की कोशिश करते पुष्पा राज की कहानी यहां थोड़ा पीछे से शुरू होती है। छलांग लगाने के लिए वह पंजे भी सिकोड़ता नजर आता है लेकिन बचपन का कोमल पुष्पा राज बड़ा होकर गंधर्व पुष्पा राज कैसे बन गया, इसकी कहानी जबर्दस्त है। श्रीमती पुष्पा राज यानी कि श्रीवल्ली का नैन मटकाना वैसा ही जारी है। वह खुद को लेडी अर्जुन समझती सी दिखती है। उसका रास्ता काटने को इस बार सुकुमार श्रीलीला को लेकर आए, लेकिन समांथा जैसा न तो नमक उसमें हैं और न ही बिल्ली जैसी चपलता। मामला किसिक में कसक भरकर लाल चंदन हो गया।

सीक्वल में फुस्स हो गया फाफा
अल्लू अर्जुन को प्रभुजी मानकर चंदन घिसते रहे लेखक-निर्देशक सुकुमार को लगता रहा है कि फिल्म ‘पुष्पा वन’ की सफलता का श्रेय उन्हें उतना नहीं मिला, जितना अल्लू और रश्मिका को मिला। रश्मिका तो सीधे हिंदी सिनेमा के हीरो नंबर वन रणबीर कपूर की हीरोइन बनने में कामयाब रहीं। अल्लू अर्जुन की कहानी इस बार बचपन से लेकर बुजुर्गियत की दहलीज पर आ खड़े हुए पुष्प राज की कहानी है और इस बार वाकई में उनके लिए मामला आसान नहीं है। राउडी बॉय पुष्पा और लीडर पुष्पा के बीच की जो लकीर इस कहानी में फहद फासिल के आने से आई है, उसे पार करने में इस बार ये दोनों जियाले कमाल कर गए हैं। गब्बर जैसा ताप लाने की कोशिश यहां प्रताप रेड्डी भी भंवर सिंह के साथ मिलकर करता है। लेकिन, ठाकुर और गब्बर के बीच डोलते फहद फासिल के किरदार ने उन्हें इस बार ज्यादा चमकने का मौका नहीं दिया। उनसे बढ़िया काम तो रश्मिका मंदाना ने सिर्फ एक सीन में अपने जेठ की धमक निकालकर कर दिया है।

Check Also

‘बहुत मुश्किल था ऐसा करना’, फिल्म ‘फायर’ में नंदिता दास के साथ इंटीमेट सीन पर बोलीं शबाना आजमी

फिल्म ‘फायर’ (1996) को बॉलीवुड की ऐसी पहली फिल्म माना जाता है, जिसमें समलैंगिक संबंधों …