अंकारा:ईरान और इस्राइल के बीच जारी युद्ध ने तुर्किये को भी सतर्क कर दिया है। राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोआन ने घोषणा की है कि देश की रक्षा क्षमता को इस हद तक मजबूत किया जाएगा कि कोई भी तुर्किये पर हमला करने की हिम्मत न करे। उन्होंने कहा कि तुर्किये अब मीडियम और लॉन्ग रेंज मिसाइलों के उत्पादन को तेज करेगा, ताकि भविष्य में किसी भी संभावित खतरे का प्रभावी जवाब दिया जा सके। हालांकि, तुर्किये सीधे युद्ध में शामिल नहीं है, लेकिन इस कदम को एक नए क्षेत्रीय हथियारों की होड़ की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।

एर्दोआन ने यह बात जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज के साथ टेलीफोन पर बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि ईरान का परमाणु मुद्दा सिर्फ बातचीत से ही सुलझ सकता है। तुर्किये के विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय सिर्फ रक्षा नहीं बल्कि भविष्य के संघर्षों से पहले की रणनीतिक तैयारी है। खास बात यह है कि तुर्किये की सेना भले ही आकार में नाटो की दूसरी सबसे बड़ी सेना है, लेकिन उसका एयर डिफेंस अब भी कमजोर माना जाता है। ऐसे में मिसाइलों की ताकत बढ़ाना उसकी रणनीतिक जरूरत बन चुका है।

कैबिनेट बैठक के बाद किया एलान
एर्दोआन ने अपने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि हालिया हालात को देखते हुए हम अपनी मिसाइल भंडारण (स्टॉक) क्षमता को इस स्तर तक ले जाएंगे कि कोई हमारे खिलाफ कठोर रुख अपनाने की हिम्मत न करे। उन्होंने देश में बने ड्रोन, लड़ाकू विमान, बख्तरबंद वाहन और नौसेना के जहाजों की प्रगति का जिक्र किया, लेकिन यह भी माना कि अब भी पूर्ण ‘डिटरेंस’ हासिल करने के लिए बहुत कुछ करना बाकी है।

ईरान-इस्राइल संघर्ष में तुर्किए को क्या खतरा?
तुर्किये का यह कदम सिर्फ सैन्य चिंता तक सीमित नहीं है। देश में यह आशंका है कि ईरान में युद्ध लंबा खिंचा तो उसकी सीमा से शरणार्थियों का पलायन शुरू हो सकता है। साथ ही, तुर्किये ईरान से तेल और गैस का बड़ा आयातक है, ऐसे में युद्ध से तेल कीमतों में बढ़ोतरी तुर्किये की पहले से डगमग अर्थव्यवस्था पर और दबाव बना सकती है। इसी वजह से एर्दोआन इस संघर्ष को रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान से भी बात कर चुके हैं।