Tuesday, October 8, 2024 at 4:50 AM

गांव का अस्तित्व मिटाने के लिए बेताब राप्ती नदी, खुद अपना आशियाना तोड़कर जा रहे ग्रामीण

श्रावस्ती:  राप्ती नदी श्रावस्ती जिले के नक्शे से जगरावलगढ़ी के मजरा टेंडवा गांव का नामोनिशान मिटाने के लिए बेताब है। गांव के निकट नदी के 90 डिग्री पर मुड़ी होने के कारण नदी की धारा सीधे गांव से टकरा रही है। गांव को कटान से बचाने के लिए विगत दिनों स्थानीय विधायक के साथ पहुंचे डीएम ने आश्वासन भी दिया था। इसके बावजूद उस पर अमल नहीं हुआ। ऐसे में ग्रामीण अपने हाथ अपना आशियाना तोड़ रहे हैं।

इकौना के ग्राम जगरावल गढ़ी के मजरा टड़वा में बीते एक माह से राप्ती नदी कटान कर रही है। यहां करीब एक दर्जन मकान नदी की धारा में समाहित हो चुके हैं। वहीं, गांव के मुहाने पर मुड़ी राप्ती नदी की धारा गांव के बचे अस्तित्व को मिटाने में जुटी है। नदी अपने स्वभाव के अनुरूप टंडवा गांव के पास सीधे नब्बे डिग्री पर मुड़ गई है। इससे नदी की ठोकर से सैकड़ों बीघे कृषि भूमि को अपनी धारा में मिलाते हुए तेज़ी से गांव की ओर बढ़ रही है। ऐसे में लोगों के मकान नदी की कटान के मुहाने पर आ गए हैं।

इससे बचने के लिए लोग स्वयं अपने हाथ अपना आशियाना तोड़ कर ईंट व अन्य गृहस्थी का सामान निकालने में जुटे हैं। ग्रामीण संतोष कुमार ने बताया कि उसने तीन माह पूर्व ही पैसा एकत्र कर मकान बनवाया था। जिसे खुद ही अपने हाथों से तोडना पड़ रहा है। विगत दिनों विधायक रामफेरन पांडेय के साथ गांव आए डीएम अजय कुमार द्विवेदी ने कटान प्रभावितों को दूसरी जगह बसाने व सहूलियत देने का आश्वासन दिया था। जिस पर अब तक अमल नहीं हुआ।

इनके घर हैं कटान के मुहाने पर
टेंड़वा निवासी संदीप पुत्र राजकिशोर, रामगोपाल पुत्र सत्यनारायण, विनय पुत्र रामगोपाल, राजेंद्र व गोबरे पुत्रगण साधू, पवन पुत्र पृथ्वीनाथ, बबलू पुत्र राधिका, त्रिलोकी पुत्र केशव, अनूप पुत्र त्रिलोकी, अनिरुद्ध व गोविंद पुत्रगण गोपाल, मुंशी पुत्र मनोहर, महेश पुत्र छांगुर, विन्देश्वरी, अखिलेश, राजू व सचिन पुत्रगण राम नरेश, शिवकुमार पुत्र राम बुझारत सहित दो दर्जन मकान कटान के मुहाने पर है। जिसे तोड़कर ग्रामीण सामान समेटने में जुटे हैं। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि महेश कुमार मिश्र ने बताया कि पैमाइश ना हो पाने से कटान प्रभावितों को जमीन उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। लोगों के रहने के लिए पंचायत भवन में व्यवस्था कराई गई है, जो पर्याप्त नहीं है। यदि बाढ़ आई तो समस्या बढ़ जाएगी।

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