Thursday, September 19, 2024 at 6:49 AM

बाबा बेदाग, अफसर भी फिलहाल निर्दोष…सारा गुनाह आयोजक, सेवादार और निजी सुरक्षा कर्मियों पर

अलीगढ़: मंगलवार को हाथरस के सिंकदराराऊ क्षेत्र के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में नारायण साकार हरि महाराज उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में हुई 121 लोगों की मौत के लिए फिलहाल बाबा के सेवादार, निजी सुरक्षा कर्मी और आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। चाहे आयोजन की अनुमति देने वाले एसडीएम की रिपोर्ट हो या फिर सिंकदराराऊ थाने में दर्ज मुकदमा। इन दोनों ही रिपोर्ट में भगदड़ के लिए इन्हें ही जिम्मेदार माना जा रहा है।

वहीं, आयोजकों को इसके लिए दोषी माना गया है कि उन्होंने पूर्व के सत्संगों में जुटने वाली भीड़ की स्थिति को छिपाते हुए केवल 80000 की भीड़ इकट्ठा होने की अनुमति मांगी थी। फिलहाल शासन स्तर से अफसरों को भी क्लीन चिट दे दी गई है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब प्रशासन को पता था कि अस्सी हजार की भीड़ जुटेगी तो उस तरह से इंतजाम क्यों नहीं हुए। इन सवालों का जवाब अभी तक कोई नहीं दे पाया है।

अभी किसी अफसर की भी जिम्मेदारी तय नहीं
इस पूरे मामले में अभी तक किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय नहीं हुई है। आज मुख्यमंत्री के साथ हाथरस पहुंचे मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया। भगदड़ में घायल लोगों से भी बात की। अफसरों से भी जानकारी ली लेकिन बाद में इन अफसरों ने जिम्मेदार केवल आयोजकों और बाबा के सेवादारों को ही ठहराया। इन दोनों अधिकारियों के रुख से हाथरस के अफसरों ने भी चैन की सांस ली। वहीं, अलीगढ़ की कमिश्नर चैत्रा वी ने बताया कि प्रकरण में जांच की जा रही है। कई बिंदुओं पर गहनता से परीक्षण किया जा रहा है। बुधवार की देर शाम तक शासन को रिपोर्ट भेज दी जाएगी। वहां से जो आदेश होगा, उसका पालन किया जाएगा।

बाबा का नाम मुकदमे में क्यों नहीं… अफसरों के सामने गूंजते रहे सवाल
सत्संग में भगदड़ मचने से हुई लोगों की मौत के मामले में दर्ज रिपोर्ट में बाबा का नाम क्यों नहीं है, यह सवाल भी मुख्यमंत्री और पुलिस अफसरों के सामने खूब गूंजे। पत्रकार अफसरों से बार-बार सवाल पूछते रहे कि क्या बाबा का नाम भी मुकदमे में शामिल किया जा रहा है। लेकिन इस पर किसी का कोई जवाब नहीं आया। बस अधिकारी बार-बार यही कहते रहे कि जांच की जाएगी, जिसकी भी जिम्मेदारी होगी, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिन्होंने आयोजन की अनुमति ली थी, उनके खिलाफ मुकदमा होता है। उसके बाद दायरा बढ़ता है। अन्य जो भी लोग जिम्मेदार होंगे, वह जांच के दायरे में आएंगे। यहां अफसरों के सामने पत्रकारों ने यह भी कहा कि बाबा इतना बड़ी घटना होने के बाद भी नहीं आए। उन्हें रुककर लोगों की मदद करानी चाहिए थी। घायलों का हाल जानना चाहिए था।

कम से कम 600 से 700 पुलिस कर्मी लगाए जाने चाहिए थे : पूर्व डीजीपी
पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन का कहना है कि इतने बड़े आयोजन के लिए सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी होनी चाहिए थी। कम से कम 600 से 700 पुलिस कर्मी लगाए जाते। पीएसी की कंपनी होती। वहीं बाबा को अपनी एंबुलेंस और डाक्टर तैनात करने चाहिए थे। जिस तरह की घटना हुई है, उसके हिसाब से बाबा पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि बाबा इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी मौके से चले जाते हैं। उन्हें तो यहां रुककर लोगों की मदद करनी चाहिए थी।

Check Also

बोलीं- ये राजनीतिक पैंतरेबाजी है, इसका जनहित से कोई लेना-देना नहीं

लखनऊ:  बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने …