भारत ने दुनिया की साझी चुनौतियों पर नई दिशा में कदम बढ़ाते हुए संयुक्त राष्ट्र में ‘भविष्य के लिए समझौते’ पर अपना मजबूत समर्थन दोहराया है। इसी के साथ भारत ने समयबद्ध और ठोस तरीके से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की मांग भी दोहराई है। भारत का कहना है कि अब इस संस्था को 21वीं सदी की हकीकतों के अनुरूप बनाना जरूरी है।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि और संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत पर्वतनैनी हरीश ने न्यूयॉर्क में गुरुवार को एक अनौपचारिक संवाद के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे में सुधार अब भी उपेक्षित क्षेत्रों में हैं और इसमें तेजी लाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि अधिकांश देश इस बात से सहमत हैं कि सुरक्षा परिषद को आज के वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य के अनुसार बदलना चाहिए।
भविष्य के लिए समझौते पर भारत की बात
भारत ने ‘भविष्य के लिए समझौते’ के प्रभावी क्रियान्वयन और साल 2028 में होने वाली इसकी समीक्षा प्रक्रिया को परिणाम आधारित और भविष्य की ओर उन्मुख रखने की बात कही। राजदूत हरीश ने कहा कि भारत सभी संबंधित पक्षों के साथ मिलकर इस समझौते की सफलता के लिए काम करता रहेगा। यह समझौता सितंबर 2024 में ‘समिट फॉर फ्यूचर’ के दौरान अपनाया गया था।
जी20 से लेकर आईएमएफ तक समन्वय की जरूरत
राजदूत हरीश ने अपने भाषण में यह भी कहा कि जी20, डब्ल्यूटीओ, वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ जैसी वैश्विक संस्थाओं के साथ ‘भविष्य के लिए समझौते’ के क्रियान्वयन में पूर्ण समन्वय जरूरी है, ताकि वैश्विक दृष्टिकोण और निर्णय एकजुट और संतुलित हों। भारत ने इन संस्थाओं के साथ मिलकर काम करने के अपने अनुभव और मंशा को भी साझा किया।