Saturday, October 19, 2024 at 11:00 PM

‘अधिक वीजा मांगों के कारण FTA पर नहीं किए हस्ताक्षर’, ब्रिटेन की पूर्व व्यापार मंत्री का बयान

ब्रिटेन की पूर्व व्यापार मंत्री केमी बेडेनोच ने दावा किया कि उन्होंने अधिक वीजा मांगों के कारण भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को रोक दिया था। केमी अभी भारतीय मूल के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की जगह कंजर्वेटिव पार्टी की प्रमुख बनने की दौड़ में हैं। ब्रिटिश मीडिया की खबरों में यह जानकारी दी गई।

बेडेनोच ने कहा, ‘एक वजह से एफटीए पर हस्ताक्षर नहीं हो पाए थे, वह यह थी कि भारतीय पक्ष ने प्रवासन के मुद्दे पर अधिक रियायतों की उम्मीद की थी।’ नाइजीरियाई मूल की नेता ने ‘द टेलीग्राफ’ से बातचीत में कहा, मैं जब व्यापार मंत्री थीं तो मैंने प्रवासन को सीमित करने के लिए प्रयास किए। लेकिन भारत के साथ एफटीए में वे बार-बार प्रवासन की बात कर रहे थे और मैंने इसके लिए मना किया। यही एक वजह थी कि हमने इस पर (एफटीए) हस्ताक्षर नहीं किए।

पूर्व मंत्रियों ने खारिज किया केमी का दावा
हालांकि, कुछ पूर्व कंजर्वेटिव मंत्रियों ने ‘द टाइम्स’ के साथ बातचीत में उनके दावों को यह कहते हुए खारिज किया कि बेडेनोच समझौते के पक्ष में थीं और उन्होंने कई दौर की वार्ताओं का संचालन किया। एक पूर्व मंत्री ने कहा, केमी किसी भी कीमत पर एक समझौता चाहती थीं और उन्हें लगता था कि जो आपत्तियां उठाई गईं हैं, वे गंभीर नहीं हैं। पूर्व मंत्री ने कहा, वास्तविकता यह थी कि सभी सौदों की ताकत भारतीय पक्ष के पास थी और वे बातचीत में हमसे अधिक मजबूत स्थिति में थे। हम हमेशा एक कमजोर स्थिति से शुरुआत कर रहे थे।

हालांकि, बेडेनोच के एक करीबी सूत्र ने इन दावों को खारिज किया और कहा कि भारत सरकार ने कंजर्वेटिक सरकार के साथ समझौता न करने का फैसला किया। उनका (भारतीय पक्ष) मानना था कि वे लेबर पार्टी के शासन में बेहतर शर्तों पर बातचीत कर सकते हैं। सूत्र ने कहा, केमी ऐसा कोई समझौता नहीं करना चाहती थीं जो ब्रिटेन के प्रवासन नियमों को बदलता। यह पूरी तरह से गलत है कि उन्होंने वीजा की बात की थी। भारत ने इसलिए पीछे हटने का फैसला लिया, क्योंकि उन्हें लगता था कि लेबर सरकार में वे छात्रों और सामाजिक सुरक्षा पर बेहतर सौदा करेंगे।

Check Also

इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर 96.96 करोड़ पहुंची, दूरसंचार कंपनियों को हर ग्राहक से 8% अधिक कमाई

देश में इंटरनेट ग्राहकों की संख्या चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून अवधि में तिमाही आधार …