Thursday, September 19, 2024 at 10:10 PM

भारत समेत 16 देशों में जानलेवा रोगाणु, डब्ल्यूएचओ ने किया सतर्क; निगरानी तंत्र को बताया नाकाफी

हाइपर विरुलेंट क्लेबसिएला निमोनिया (एचवीकेपी) नामक एक नए रोगाणु को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सभी देशों के लिए चेतावनी जारी की। यह एक ऐसा रोगाणु है, जो स्वस्थ लोगों में जानलेवा संक्रमण पैदा कर सकता है। अस्पताल में भर्ती मरीज या फिर आबादी दोनों में इस संक्रमण का प्रसार हो सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह जानकारी 127 में से 43 देशों से सूचना एकत्रित करने के बाद दी है। 43 में से 16 देशों में एचवीकेपी रोगाणु के मामले सामने आने की पुष्टि हुई है, जिसमें भारत भी शामिल है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अब तक अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कंबोडिया, हांगकांग, भारत, ईरान, जापान, ओमान, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड, यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के अलावा अमेरिका में मामले सामने आए हैं। इनके अलावा 12 देशों में इस रोगाणु का नया स्ट्रेन एसटी 23-के1 भी सामने आया है। यह देश भारत, अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ईरान, जापान, ओमान, फिलीपींस, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं।

किसी देश का इस पर ध्यान नहीं : डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अभी तक किसी भी देश का एचवीकेपी रोगाणु पर ध्यान नहीं गया है। ज्यादातर डॉक्टर अभी तक इसके नैदानिक परीक्षण और इलाज की जानकारियां नहीं जानते हैं। जबकि डॉक्टरों और रोगियों की जांच करने वाली प्रयोगशालाओं को इसे लेकर सचेत रहना चाहिए। डब्ल्यूएचओ ने सलाह दी है कि अपनी प्रयोगशाला क्षमताओं को मजबूत करने के साथ-साथ इस रोगाणु से प्रभावित क्षेत्रों का एक डाटा भी एकत्रित किया जाए।

भारत ने दी जानकारी, 2016 में पहला मामला
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि एचवीकेपी को लेकर भारत ने बताया कि भारत में साल 2015 से इस रोगाणु को आइसोलेट यानी पृथक करने का प्रयास किया जा रहा है। यहां पहली बार कार्बेपनेम-प्रतिरोधी एचवीकेपी रोगाणु की पहचान 2016 में एक मरीज में हुई। इसके बाद रोगाणुरोधी प्रतिरोध को लेकर प्रयास तेज हुए हैं। हालांकि जिला और तहसील स्तर की स्वास्थ्य सेवाओं में अभी भी इन्हें लेकर जानकारियों का अभाव है। हालांकि भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नए स्ट्रेन की पहचान के लिए आईसीएमआर की एक पूरी टीम कार्य कर रही है।

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