Friday, November 22, 2024 at 4:30 PM

भूस्खलन में बह गई दो बसों के यात्रियों की खोज जारी, छह दिन बाद मिले 19 यात्रियों के शव

पिछले सप्ताह भूस्खलन से नदी में बह गई दो बस गई थीं। इसमें सवार 54 यात्रियों में से 19 यात्री भारतीय थे। बचावकर्मी अब तक 19 शव बरामद कर पाए हैं, जिनमें से 4 भारतीय हैं। वहीं तीन यात्री घटना के तुरंत बाद तैरकर सुरक्षित निकल आए थे। खोज और बचाव कार्य अभी भी जारी है।

नेपाल में बीते सप्ताह 12 जुलाई को भूस्खलन चितवन जिले में नारायणघाट-मुगलिंग मार्ग पर सिमलताल क्षेत्र में हुआ। इस दौरान दो यात्री बस भी इसकी चपेट आ कर त्रिशूरी नदी में गिर गईं। एक बस बीरगंज से काठामांडू की ओर जा रही थी। बस में सात भारतीय नागरिकों सहित चौबीस लोग सवार थे। वहीं दूसरी बस काठमांडू से गौर की ओर जा रही थी। इस बस में 30 लोग सवार थे। बसों में सवार 54 में से तीन यात्री सुरक्षित बाहर आ गए थे। वहीं बस में सवार अन्य यात्रियों को खोजने के लिए 500 सुरक्षा और राहतकर्मी लगाए गए थे।

सशस्त्र पुलिस बल के अनुसार, 19 शवों में से चार शव भारतीय नागरिकों के हैं। पांच पुरुष शवों की पहचान अभी नहीं हो पाई है। नेपाल के स्थानीय अधिकारी बचाव कार्य के लिए बिहार और यूपी में भारतीय अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार, गुरुवार को भी खोज और बचाव कार्य जारी रहा। सिमलताल जुड़वां बस दुर्घटना स्थल से अब तक 19 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं।

वहीं दूसरी ओर बुधवार को सुरक्षाकर्मियों ने तलाशी के दौरान तीन शव बरामर किए। तलाशी के दौरान 27 वर्षीय भारतीय नागरिक विवेक कुमार का शव बरामद किया गया। इससे पहले, दुर्घटनास्थल से 28 वर्षीय ऋषि पाल शाह, 30 वर्षीय जय प्रकाश ठाकुर और 23 वर्षीय सज्जाद अंसारी के शव बरामद किए गए थे।

6 दिन से चल रहा बचाव और तलाश कार्य
12 जुलाई को हुई इस घटना के बाद से ही बचाव, राहत और तलाश कार्य जारी है। हालांकि 19 शव भी बरामद किए जा चुक हैं। इस कार्य के लिए अच्छी से अच्छी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। अधिकारियों ने बचाव कार्य में सहायता के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सोनार कैमरे, शक्तिशाली चुंबक और वाटर ड्रोन का इस्तेमाल किया है। दोनों बसों से शव त्रिशूली नदी में 100 किलोमीटर दूर तक बह गए। पहाड़ी इलाकों के कारण नेपाल की नदियों का बहाव तेज होता है। पिछले कुछ दिनों में भारी मानसूनी बारिश के कारण जलमार्ग उफान पर हैं और उनका रंग गहरा भूरा हो गया है, जिससे मलबे को देखना और भी मुश्किल हो गया है।

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