भाजपा ने उत्तराखंड की पांचवी विधानसभा के लिए 59 प्रत्याशियों को चुनावी समर में उतार दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उनकी पारंपरिक विधानसभा सीट खटीमा से मैदान में उतारा गया है।

धामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का युवा चेहरा हैं। पुष्कर के सामने दो अहम मिथकों को तोड़ने की दुष्कर चुनौती है। सियासी जानकारों के अनुसार, उनके नेतृत्व में ये दोनों मिथक तोड़ने में पुष्कर कामयाब हुए तो फिर भाजपा को सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकता।

पहला मिथक मुख्यमंत्री से ही जुड़ा है। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद हुए चार विधानसभा चुनाव का इतिहास रहा है कि इनमें मुख्यमंत्री रहते हुए जिस राजनेता ने चुनाव लड़ा, उसे पराजय का सामना करना पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी और हरीश रावत इसके उदाहरण हैं।मुख्यमंत्री के सामने उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार सरकार न बना पाने के मिथक को तोड़ने की भी चुनौती है। पिछले चार चुनाव से यह मिथक बना हुआ है। 2002 में प्रदेश में कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई।  इस बार भाजपा ने अबकी बार 60 पार का नारा दिया है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक कहते हैं कि पिछले पांच साल में भाजपा ने विकास की जो गाथ लिखी है, वह शानदार है। पार्टी को पूरा भरोसा है कि वह उत्तराखंड को अगले पांच साल में देश का अग्रणीय राज्य बनाने के लिए भाजपा का समर्थन करेगी।